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[ २१ ] (२०) निरूपण-निर्यापक आचार्य समाधि के अनुकूल राज्य, राजा, देश आदि है या नहीं तथा
अपने संघस्थ साधुओं का भाव भी देखते हैं। इसमें एक हो कारिका है । (२१) पृच्छा-निर्यापक आचार्य अपने संघ के साधुओं को पूछते हैं कि अपने को इस अभ्यागत साध
की सल्लेखना करानी है । इसमें भी १ कारिका है । (२२) एक संग्रह संघ में एक ही साधु को सल्लेखना के लिए अनुमति देना चाहिए । अनेक को नहीं,
जैसे मुख में एक ही प्रास लेते हैं । इसमें ३ कारिका है। (२३) आलोचना—आलोचना-विशुद्ध भावों से मायाचार छोड़कर करनी होती है, इसके लिए
उद्यान यादि रम्य स्थान, शुभ वार, नक्षत्र आदि होना चाहिए । इन स्थान, प्रादि के विषय
में इसमें सुन्दर विवेचन है । इसमें ४२ कारिकायें हैं । (२४) गुणदोष आलोचना करने से कितने गुण प्राप्त होते हैं और नहीं करने से कितने दोष आते
हैं इसका विशद वर्णन तथा आलोचना दश दोषों को टालकर ही नियम से करना चाहिए इनमें से एक दोष से होने वाली हानि को उदाहरण सहित समझाया है । छल से गुरु से पूछे कि अमुक व्रत में दोष लगे तो क्या प्रायश्चित है प्रच्छन्न येत्या पूछकर स्वतः की शुद्धि हुई मानना छन्न नामा दोष है । अन्य के भोजन से अपनी तृप्ति हो तो अन्य के बहाने अपनी शुद्धि हो किंतु ऐसा सम्भव नहीं है इस: निराक सेना को १६ ई. समाधि पूर्वक
मरण सम्भव है, अन्यथा नहीं इत्यादि कथन इस अधिकार में है । इसमें ६६ श्लोक हैं । (२५) शय्या-क्षपक जहाँ पर सल्लेखना करेगा वह स्थान कैसा होना जिससे कि क्षपक के ध्यान
में विध्न न हो एवं वह स्थान पवित्र होना चाहिए इत्यादि कथन इसमें ८ कारिकायें हैं ।। (२६) संस्तर--क्षपक जिस पर लेटता है वह शिला, काष्ठ आदि रूप संस्तर कैसा होना चाहिए इसका वर्णन इसमें है । इसमें ८ कारिकायें हैं।
निर्यापकादि अधिकार (२७) निर्यापक-क्षपक की वैयावृत्त्य के लिए नियषिक प्राचार्य ४८ मुनियों को नियुक्त करते हैं __४८ मुनिजन भी निर्यापक कहलाते हैं इनमें किस प्रकार के गुण होते हैं एवं इनकी किस किस
कार्य में नियुक्ति होती है इस बात का मनोहर वर्णन इसमें है इसमें ४२ कारिफायें हैं । {२८) प्रकाशन--क्षपक मुनिराज को अन्न, स्वाद्य, और लेह्य इन तीन प्रकार के आहार को
दिखाकर फिर त्याग कराना चाहिए, अन्यथा उक्त आहार में आसक्ति रह जाना सम्भव है,
इसका इसमें वर्णन है । इसमें ७ कारिकायें हैं। (२६) हानि-क्षपक मुनि की मनोहर आहार में आराक्ति होवे तो उस आसक्ति को दूर करने का
इरा में कथन है। इसमें ४ कारिकायें हैं।