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[ ३३ ]
विषय
१ष्ठ
४९६-४९८
५१५ ५१६
५१७
५१-५२३ ५२३-५७० ५२४-५२६ ५.२७-५३० ५३१.५३३
श्लोक पंचपरमेष्ठियों के साक्षीपूर्वक किया गया पाहार का प्रत्याख्यान छोड़े तो वह परमेष्ठियों की विराधना हो हुई १७१६-१७२६ सुभौम चक्री को कथा
१७३३ भक्त प्र. के ४० आंधकारों में से ३६वां समता अधिकार १७६८-१७८३ ध्यानादि अधिकार
१७८४ रौदध्यान के चार भेद
१७८७ आतध्यान के चार भेद
१७८६-१७९० ध्यान का परिकर
१७६१ घHध्यान के चार भेद
१७६३-१७६९ बारह भावना
१८००-१९६४ अनित्य भावना
१८०१-१९१३ अशरण भावना
१८१४-१८३१ एकत्व भावना
१८३२-१८४१ अन्यत्व भावना
१८४२-१८५७ संसार भावना
१८५८-१९८८ लोक भावना
१८८६-१९.३ अशुचि भावना
१६०४-१६११ आस्रव भावना
१९१२-१९२६ संवर भावना
१६२७-१६३६ निर्जरा भावना
१९३७-१९४७ धर्म-भावना
१६४८-१९५६ बोधि दुर्लभ भावना
१६५७-१९६४ शुक्लध्यान का वर्णन
१९६८-१९७३ भक्त प्र. के ४० अधिकारों में से लेश्या नामा ३च्या अधिकार
१९८७-२००४ भक्त प्र. के ४० अधिकारों में से आराधना फल नामा ३९वां अधिकार
२००५-२०४३ भक्त प्र. के ४० अधिकारों में से अंतिम ४०वां आराधक त्याग नामा अधिकार २०४४-२०७३
५३-५४६ ५४७-५५३ ५५४-५५५ ५५५-५५६
५६२-५६५ ५६५-५६७ ५६७-५७० ५७१-५७५
५७८-५८३
५८३-५९३
५६३-६०२