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[ २६ ] विषय
श्लोक भक्त प्र० के ४० अधिकारों में से १६वा परीक्षण अधिकार ५३६-५३८ भक्त प्र० के ४० अधिकारों में से २० निरूपण अधिकार भक्त प्र० के ४० अधिकारों में से २१वां पृच्छा अधिकार । ५४० भक्त प्र० के ४० अधिकारों में से २२वां एक संग्रह अधिकार ५४१-५४३ भक्त प्र० के ४० अधिकारों में से २३वां पालोचना अधिकार ५४७-५८९ आलोचना करने का योग्यकाल मालोचना के योग्य स्थान
५८४-५८६ भक्त प्र. के ४० प्रधिकारों में से २४वां गुण दोष प्रधिकार ५९०-६५८ पालोचना के दस दोष वर्णन
५९०-६३३ भक्त प्र० के ४० अधिकारों में से २५वा शय्या अधिकार ६५९-६६७
भक्त प्र. के ४० अधिकारो में से २६वां संस्तर अधिकार ६६८-६७५ ६. निर्यापकादि अधिकार
६७६-७४६ नियमिक-मरियारक मुनि ४५ होनाः । उनके सेना के विभाग ६७७-६९१७ कम से कम दो निर्यापक होना भक्त प्र. के ४० अधिकारों में से २८वा प्रकाशन अधिकार ७१६-७२५ भक्त प्र. के ४० अधिकारों में से २६वा हानि अधिकार ७२६-७२६ भक्त प्र. के ४० अधिकारा में से ३०बां प्रत्याख्यान अधिकार ७३०.७३६ भक्त प्र. के ४० अधिकारों में से ३१वां क्षामण अधिकार ७४०-७४३
भक्त प्र. के ४० अधिकारों में से ३२वां क्षपण अधिकार ७४४-७४९ ७. अनुशिष्टि महाधिकार
७५०-१५६७ निर्यापकाचार्य द्वारा क्षपक को महान् दिम्ब उपदेश देना कि हे मुने ! तुम मिथ्यात्व का वमन करो ७५३-७५४ संवश्री की कथा
७६२ मम्यक्त्व भावना में श्रणिक की कथा
७७१ जिनेन्द्र भक्ति में पसरथ की कथा
७८३ गणमोकार माहात्म्य में सुभग ग्वाले की कथा यम मुनि की कथा
८०४ दृढ़ सूर्य चोर की कथा
८०५
१७६-१९७ १७९-१६० १६७.१९९ २००-२०१ २०२-२२१ २०२-२०८
२०८ २१३.२१४ २१४-२१६
२१८२१६ २२०.२२१
२२२-४५१
२२५.२२६
२२-२२६ २३२-२३३ २३४-२३५ २३२-२३६ २३६-२४०