________________
विषयानुक्रमणिका
विषय
श्लोक
२८-५७
ir
or
in
पोठिका मंगलाचरण एवं प्रतिज्ञा चार आराधना के सिद्धि के पांच हेतु द्योतम, मिश्रण, सिद्धि, न्यूढि, निन्यू ढि संक्षेप से दो पाराधना कही है मिश्याष्टिके (फ भी मायना नहीं होती आराधना सदा हो भावित होना चाहिए बाल मरणाधिकार मरण के सतरह भेद मरण के संक्षेप में पांच भेद पांच प्रकार के मरणों के स्वामी पंडित मरण के तीन भेद
सम्यक्त्व आराधना २. बाल-बाल मरणाधिकार ३. भक्त प्रत्याख्यान मरण अर्ह आदि अधिकार
भक्त प्रत्याख्यान मरण के दो भेद-सभिचार, अविचार अहं. लिग, शिक्षा आदि चालीस अधिकारों का नाम निर्देश अर्ह-सल्लेखना कौन धारण करें लिंग अधिकार
औत्सगिक लिंग, अनीत्सगिक लिंग श्रौत्सगिक लिंग के चार प्रकार-अचेलकरव, लोच, व्युत्सृष्ट देहता, प्रतिलेखन अचेलकत्व वर्णन लोन वर्णन
५८-६८ ६९-२०६
२२-२४ २५-६६
२६-२६ २६-३० ३०-३७
३०
८२
८३-८८
३२-३४