Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 16
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (13) सर्वजन प्रसन्न मंत्र (1) सर्वप्रिय मंत्र- ॐ नामे भगवउ अरहउ पउ मप्पहस्स सिज्झष्याउ में भगवई महइ महाविद्या पउसे महापउमे पउमुत्तरे पउमसिरि ठः ठः ठः स्वाहा। विधि- इस मंत्र को १०८ बार पढ़कर दो उपवास करके, करने वाले के सर्व जन इष्ट हो जाते हैं, याने सर्व प्रिय हो जाता है। (2) परस्पर प्रेम बढ़े मंत्र- क्लीं जपे विजये जयंते अपराजिते ज्म्ल्यूँ जंभे भy मोहे म्य॑ स्तम्भे, ह्म्ल्यूँ स्तम्भिनि (नाम) मोहय मोहय मम वश्यं कुरु स्वाहा। विधि-स्त्री जपे तो पुरुष वश होय और पुरुष जपे तो स्त्री आकर्षित होय। यदि दोनों जपें तो परस्पर प्रेम होता है। (3) सर्वजन प्रसन्न मंत्र- ॐ ह्रीं क्रौं ह्रीं हूँ फट् स्वाहा। विधि- मंत्र से मंत्रित सुपाड़ी, इलायची व लौंग खिलाने से सर्वजन प्रसन्न होते हैं। (14) श्रोतागण आकर्षण मंत्र (1) उपदेश समय में श्रोतृवृंद आकर्षण मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कलिकुण्ड दण्ड स्वामिनि अप्रतिचक्रे जये, विजये, अपराजिते अजिते जंभे स्वाहा। विधि- इस मंत्र की १०८ बार जप करना चाहिए। (2) उपदेश देने में श्रोता आकृष्ट मंत्र- ॐ ह्रीं श्री महा संमोहिनी महाविद्ये मम दर्शनेन अमुकं ज॑भय स्तंभय मोहय मूर्छय कछय आकछय आकर्षयं पातयहीं महा संमोहिनी ठः ठः स्वाहा। विधि-उपदेश देने के पूर्व २१ बार पढ़ें तो सब श्रोतागण आकृष्ट होते हैं। (3) श्रोतागण आकर्षण मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं कीर्तिमुख मंदिरे स्वाहा। विधि- इस मंत्र को उपदेश देने के समय में प्रथम स्मरण करें तो श्रोतागण आकर्षित होते हैं। (4) श्रोता-आकर्षण मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ नमिऊण पास विसहर वसह जिण फुलिंग ह्रीं नमः । विधि- इस मंत्र का नित्य जाप करने से श्रोताजन आकर्षित होते हैं। (5) सुन्दर भाषण देने का मंत्र- ॐ णमो बोहिदयाणं, जीवदयाणं, धम्मदयाणं, धम्मदेसयाणं, अरहंताणं नमो भगवईए, देवयाए सव्व सुयनायाए वार संग जणणी ए अरहंत सिरिए झ्वी क्ष्वीं स्वाहा। विधि- दस हजार जाप करके पहले मंत्र को सिद्ध कर लें फिर व्याख्यान देने के पूर्व एक बार पढ़ लें अथवा व्याख्यान देने के पूर्व एक माला करें तो सुन्दर भाषण होय सभी प्रशंसा करें। = 108

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