Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 142
________________ मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर तपकल्याणक की पूजा करें तथा जिन तीर्थंकर की प्रतिष्ठा कर रहे हैं उन-उन तीर्थंकर के तप कल्याणक के अर्घ चढ़ाएं। 28 मंत्र अधिकार जैसे - ॐ ह्रीं चैत्रकृष्ण नवम्यां तप कल्याणक प्राप्त श्री ऋषभनाथ जिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। ४. केवलज्ञान विधि / मंत्र नित्य नियम की पूजा के बाद केवल ज्ञान कल्याणक के पहले विधिनायक प्रतिमाजी की आहार आदि की क्रिया करायें, फिर अंकन्यास, संस्कारमालारोपण आदि व प्राण प्रतिष्ठा की क्रिया करें। क्योंकि दिगम्बर मान्यता के अनुसार केवली भगवान कवलाहारी नहीं होते अर्थात केवल ज्ञान के बाद केवली भगवान आहार आदि ग्रहण नहीं करते। अतः केवल ज्ञान के पहले ही आहार की क्रिया करें फिर दोपहर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद केवल ज्ञान की पूजन आदि करें । अंकन्यास विधि/मंत्र 1 नोट : अंकन्याय का चित्र देखें पेज नं. 222-223 पर इसी अध्याय के आगे । कपूर, चंदन, केशर आदि सुगन्धित द्रव्यों से स्वर्ण शलाका द्वारा अंकन्यास करें ललाट में ॐ अं नमः ललटे, ॐ आं नमः मुखवृत्ते ॐ इं नमः दक्षनेत्रे, ॐ ईं नमः वामनेत्रे, ॐ उं नमः दक्षकर्णे, ॐ ऊं नमः वामकर्णे, ॐ ऋ नमः दक्षनसि, ॐ ॠ नमः वामनसि ॐ लूं नमः दक्षगण्डे, ॐ ॡ नमः वामगण्डे, ॐ एं नमः अधः ओष्ठे, ॐ ऐं नमः ऊर्ध्वओष्ठे, ॐ ओं नमः अधोदन्ते, ॐ औं नमः ऊर्ध्व दन्ते, ॐ अं नमः मूर्ध्नि, अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ लृ ऌ ए ऐ ओ औ अं 234 मुखवृत में दाहिने नेत्र वाम नेत्र दक्षिण कान वाम कान दक्षिण नाक वाम नाक दक्षिण गाल वाम गाल नीचे होंठ ऊपर होंठ नीचे दांत ऊपर दांत मस्तक पर

Loading...

Page Navigation
1 ... 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165