Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 149
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर सूरि मंत्र तृतीय मंत्र- ॐ ह्रीं णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं। चत्तारि मंगलं अरहंता मंगलं सिद्धा मंगलं साहू मंगलं केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा, अरहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलि पण्णत्तो णम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वजामि अरहंते सरणं पव्वज्जामि सिद्धे सरणं पव्वज्जामि साहू सरणं पव्वजामि केवलि पण्णत्तं धम्मंसरणं पव्वज्जामि क्रौं ह्रीं स्वाहा। सूरि मंत्र चतुर्थ मंत्र- ॐ परमब्रह्मणे नमोनमः स्वस्ति स्वस्ति जीव जीव नंद-नंद वर्धस्व-वर्धस्व विजयस्व-विजयस्व अनुसाधि-अनुसाधि पुनीहि-पुनीहि पुण्याहं-पुण्याहं मांगल्यंमांगल्यं वर्धयेत्-वर्धयेत् एवं जिन बिम्बे आत्मघटं वायुं पूरय पूरय आगच्छ आगच्छ संवौषट् तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः चिरकालं नन्दतु वज्रमयां प्रतिमां कुरु कुरु गौं गौं स्वाहा स्वहा। सूरि मंत्र पंचम मंत्र- ॐ हां ही हूँ ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा अहँ ॐ ह्रीं स्म्ल्यूँ , मल्यूँ, जुम्ल्वयूँ, त्यम्ल्यूँ, लम्ल्यूँ, व्ल्यूँ, पल्यूँ, भल्यूँ, म्ल्यूँ, कम्ल्यूँ, ॐ ह्रां णमो अरहंताणं ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं, ॐ हूँ णमो आइरियाणं ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं, ॐ ह्र: णमो लोए सव्वसाहूणं अनाहत पराक्रमस्ते भवतु ते भवतु ते भवतु ह्रीं नमः। अर्घ चढ़ाएं- अर्घ- ॐ ह्रीं मोहनीयज्ञान दर्शनावरणान्तराय निर्णासकाय जिनाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। * केवलज्ञान उत्पत्ति के पांच दीपक जलाएं। केवलज्ञान की वाद्ययंत्रों के साथ घोषणा करें* मंत्र के साथ पुष्पांजलि क्षेपित करेंमंत्र- ॐ णमो अरहंताणं रत्नत्रय पवित्रकृतोन्तमाङ्गाज्योतिर्मयाय मतिश्रुतावधिमनःपर्यय केवलज्ञानाय अ सि आ उ सा नमः (स्वाहा) पुष्पांजलिं क्षिपेत् । * गुणारोपण मंत्र पढ़कर प्रतिमा के ऊपर पुष्प क्षेपण करेंमंत्र- १.ॐ अनंतचतुष्टय स्थापनाय प्रतिमोपरि पुष्पं क्षिपेत्। २. ॐ अनंतज्ञान स्थापनार्थं पुष्पं क्षिपेत् । ३. ॐ अनंतदर्शन स्थापनार्थं पुष्पं क्षिपेत् । ४. ॐ अनंतवीर्य स्थापनार्थं पुष्पं क्षिपेत् । 241

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