Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 150
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर ५. ॐ अनंतसुख स्थापनार्थं पुष्पं क्षिपेत् । * अर्घ चढ़ाएं- अर्घ- ॐ ह्रीं अष्टमंगलद्रव्य संपन्नाय जिनाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। दश अतिशयों की स्थापना * दश अतिशयों की स्थापना मंत्र के साथ पुष्प क्षेपण द्वारा करें। मंत्र- १. ॐ घातिक्षयज दशातिशय स्थापनार्थं पीठिकायां दश पुष्पाणि क्षिपेत् । (पीठिका पर दस पुष्प क्षेपित करें) २. ॐ समवसरण स्थापनार्थं प्रतिमायां समंतात् पुष्पाक्षतं क्षिपामि स्वाहा ।(प्रतिमा के चारों ओर पुष्पाक्षत क्षेपित करें ) ३. ॐ चतुर्दशदेवोपुनीतातिशय स्थापनार्थं पीठिकायां चतुर्दश पुष्पाणि क्षिपामि स्वाहा। (पीठिका पर चौदह पुष्प क्षेपित करें) ४. ॐ अष्ट महा प्रातिहार्य स्थापनार्थं पीठिकायां अष्ट पुष्पाणि क्षिपेत् (पीठिका पर आठ पुष्प क्षेपित करें) ज्ञानकल्याणक की पूजा करें तथा जिन-जिन तीर्थंकर-प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की है उन सभी के ज्ञान कल्याणक के अर्घ चढ़ाएं। जैसे- अर्घ- ॐ ह्रीं फाल्गुन कृष्ण एकादश्यां ज्ञानकल्याणक प्राप्ताय वृषभदेवाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। * पश्चात् निर्वाण क्षेत्र एवं महार्घ चढ़ाकर शान्तिपाठ पढ़ें व विसर्जन करके कायोत्सर्ग करें। । ५. निर्वाण कल्याणक विधि/मंत्र ) * निर्वाणकल्याणक अर्थात् सिद्ध प्रतिष्ठा के लिए निम्न मंत्र का १०८ बार जाप करेंमंत्र- ॐ ह्रीं अहँ श्रीं ॐ झं पं झ्वीं क्ष्वी हः पः हः अ सि आ उ सा मम शान्तिं पुष्टिं कुरु कुरु स्वाहा। अर्घ चढ़ाएंअर्घ- १. ॐ ह्रीं शुक्लध्यान निरताय जिनाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। २. ॐ ह्रीं वृषभनाथ जिनेन्द्राय तृतीय शुक्लध्यानारूढाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। ३. ॐ ह्रीं वृषभनाथ जिनेन्द्राय चतुर्थ शुक्लध्यानारूढाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। * पुष्प क्षेपण करें- मंत्र- अस्मिन् बिम्बे निर्वाणकल्याणक आरोपयामि। निम्न मंत्र का १०८ बार जाप करें 242

Loading...

Page Navigation
1 ... 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165