Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation
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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
मंत्र- ॐ णमो अरहंताणं णाणदंसण चक्खुमयाणं अमियरसायणं विमल तेयाणं संति तुट्ठि
पुट्ठि वरद सम्मादिट्ठीणं वं झं अमिय वरसीणं स्वाहा। सूर्यकला मंत्र * सूर्यकला मंत्र १०८ बार जपें। मंत्र- ॐ ह्रीं स्फ्रां स्फ्री ॐ वं झौं सं श्रीं एहि एहि अस्मिन् बिम्बे सूर्य कलां स्थापय
स्थापय श्रुः नमः। चन्द्रकला मंत्र * चन्द्रकला मंत्र १०८ बार जपें। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं अहँ पुनीहि पुनीहि ॐ श्रीं क्लीं अस्मिन् बिम्बे चन्द्रकलां स्थापय
स्थापय ह्रीं झौं नमः। प्राणप्रतिष्ठा विधि/मंत्र * प्राणप्रतिष्ठा मंत्र १०८ बार जपें। मंत्र- १. ॐ आं कौं ह्रीं य र ल व श ष स ह अ सि आ उ सा क्षों सः हं सः आयुष्य
प्राणा इह प्राणा आयुष्य जीवः इह स्थितिः सर्वेन्द्रियाणां काय वाङ्मनश्चक्षुश्रोत्रं मुख घ्राण जिह्वान् स्थापय स्थापय शब्द स्पर्श वर्ण रस गंधान् अस्य आत्मघटं वायु च पूरय-पूरय संवौषट् तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः चिरकालं नन्दतु। २. ॐ ऐं आं क्रों ह्रीं श्रीं क्लीं अ सि आ उ सा अयं जीवः असौ चेतनः अस्मिन्
स्थिताः सर्वेन्द्रियाधि इह स्थापय देहे पूरय पूरय संवौषट् चिरं जीवतु चिरं जीवतु। सूरि मंत्र प्रथम १. प्रतिमाजी के सीधे कान में २१ बार बोलेंमंत्र- ॐ ह्रीं झू हूं सूं सः क्रौं ह्रीं ऐं अहँ नमः सर्व अर्हत गुणभागी भवतु भवतु स्वाहा। २. दर्पण सामने रखकर प्रतिमाजी के उल्टे तरफ के (बायें) कान में २१ बार बोलेंमंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रां ह्रौं श्रीं श्रौं जय जय द्रां कलि द्राक्षसां ,जय जिनेभ्योः ॐ
भवतु स्वाहा। सूरि मंत्र द्वितीय मंत्र- ॐ ह्रीं ऐं श्रीं भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ माः ॐ हाः ॐ जनः तत् सवितु वरेण्यं
भर्गो देवाय धी मही धियोनिं अ सि आ उ सा णमो अरहंताणं अनाहत पराक्रमस्ते भवतु ते भवतु।
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