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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(3.) ॐ इचि मिचि मम भस्य करी स्वाहा॥ विधि- इन तीनों मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र से जल मंत्रित करके पिलाने से और हाथ
से झाड़ा देने से अजीर्ण ठीक होता है और अतिसार भी ठीक होता है और पेट का
दर्द भी ठीक होता है। (4) पार्यो पर्वडत्रिशुलधारी श्रुल भंजइ श्रुल फोड़इ तासुलय जय। विधि- इस मंत्र से पेट पीड़ा का नाश होता है। (5) सर्व वायु रोग नाशक मंत्र- ॐ तारणि तारय मोचनि मोचय मोक्षणि जीव वरदे
स्वाहा। विधि- इस मंत्र से जल २१ बार मन्त्रित कर पिलाने व झाड़ देने से सर्व वायु का शमन
होता है। (6) वायु रोग निवारण : मंत्र- ॐ नमो अजब कंकोल गड़ीयो वाय फिरंग रगत वाय,
चेपियो वाय, अनंत सर्वे वाय नाशय नाशय दह दह पच पच भख भख हन हन
ॐ फुट् स्वाहा। विधि- प्रथम १२५००० जाप कर मंत्र सिद्ध कर लें। फिर पांच रंग के रेशम के धागों को
लेकर ९ गांठ दें। हरेक गांठ पर १०८ बार धूप-दीप सहित मंत्र पढ़ें। फिर गले में बांधे तो हर प्रकार का वायु रोग मिटे।
(102) वात नष्ट मंत्र (1) वात नष्ट मंत्र-(अ) ॐ रां री रूं रौं र: स्वाहा। विधि- इस मंत्र को २१ बार, ३४ दिन तक हाथ से झाड़ा देवें तो कायल वात नष्ट होती है। (2) पवणु पवणु पुत्र, वायु-वायु पुत्र हणमंतु-२ भणइ निगवाय अंगज भणइ।
विधि-इस मंत्र से सभी प्रकार के वात दूर होते हैं। (3) ॐ नील नील क्षीर वृक्ष कपिल पिंगल नार सिंह वायुस्स वेदनां नाशय नाशय फट् ह्रीं
स्वाहा। विधि- इस मंत्र से सभी प्रकार के वात रोग दूर होते हैं। (4) वायजाय मंत्र : ऊँ ह्रीं कमले कमलोद्भवे स्वाहा। विधि : २१ बार चने की दाल व खारक मंत्रित कर खायें तो कमलवाय जाये।
(103) अंडकोष-वृद्धि व खालबिलाई मंत्र
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