Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 108
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर ओं ह्री सव्वपावप्पणासणो आसनं रक्ष रक्ष, ओं ह्रीं मंगलाणं च सव्वेसिं पढ़म होइ मंगलं आत्मरक्षा पररक्षा हिलि हिलि मातंगिनि स्वाहा। विधि- प्रतिदिन जप से कार्माणादि कर्मों का दोष दूर होता है। १७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो कुट्ठबुद्धिणासयाणं चारणाणं । मंत्र-ॐ यः यः सः सः हः हः वः वः उरुरिल्लय रूह (ह?) रुहान्त ॐ ह्रीं पार्श्वनाथ दह दह दुष्टनागविषं क्षिप ओं स्वाहा। विधि- ७ बार मंत्रित जल को पिलाने व विषैले जगह छिड़कने से सर्प व विषैले जन्तुओं के विष का असर दूर होता है। १८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो फणिसत्ति सोसयाणं पण्हसमणाणं। मंत्र- ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं , ओं ह्रीं नमो सिद्धाणं, ओं ह्रीं नमो आयरियाणं ओं ह्रीं नमो उवज्झायाणं, ओं ह्रीं नमो लोए, सव्व साहूणं, ओं नमो सुअदेवाए भगवईए सव्वसुअमए, बारसंगपवयए जणणीए सरसइए सव्ववाइणि सवण्णवणे, ओं अवतर २ देवी मम सरीरं पविस पूव्वं तस्य पविस सव्वजण भयहरीए अरिहतसिरीए स्वाहा। विधि- पहले मंत्रित चाक मिट्टी का तिलक लगावें। फिर रात्रि में लोगों के सोने पर हाथ में जल भरी झारी लेकर एकान्त में लोंगों की वार्ता सुनें। जो बात समझ में आये उसी को सत्य समझें। मनोवांछित शुभाशुभ का फल इसी से ज्ञात होता है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अक्खिगदणासयागं आगासगामीणं। मंत्र- णंहूसव्वसएलोमोन णंयाज्झावउमोन णंआरीय आमोन, णंद्धासिमोन णताहरिअमोन हुलु२ कुलु२ चुलु२ स्वाहा। विधि- जाल में फँसे जलचर जीव मुक्त हो जाते हैं। मछलियां जाल में नहीं फँसती। २०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो गहिलगहणासयाणं आसीविसाणं। मंत्र-ॐ ह्रीं नमो भगवओं ओं (?) पासनाहस्स थंभय सव्वाओ ई ई, ओं जिणाणाए मा इह, अहि हवंतु, ओं क्षां क्षी ही झू क्षौं क्षः स्वाहा। विधि- १०८ बार सफेद पुष्प को मंत्रित कर राज्यप्रमुख को सुंघाने से वह साधक के वश में होता है तथा अपराध माफ कर देता है। २१. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो पुप्फियतरुवत्तयराणं दिट्ठिविसाणं। मंत्र-ॐ अरिहंत सिद्धआयरियउवज्झायसव्वसाहू (णं) सव्वधम्म तित्थयराणं ओं नमो भगवइए सुअदेवयाए शान्तिदेवयाए सव्वपवयणदिवयाणं दसण्हं दिसापालाणं 200

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