Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 128
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर ३५. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो जल्लोसहिपत्ताणं। मंत्र- ॐ णमो जय विजयापरिजित महालक्ष्मी अमृतवर्षिणी अमृतास्रावित्री अमृतं भव भव वषट् स्वधा स्वाहा। विधि- ऋद्धि मन्त्र की आराधना से चोरी-मरी -मृगी-दुर्भिक्ष-मृगी राजभय आदि नष्ट होते हैं। ३६. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो विप्पोसहिपत्ताणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं कलिकुण्डदण्डस्वामिन् आगच्छ आगच्छ आत्ममन्त्रान् आकर्षय आकर्षय आत्ममन्त्रान् रक्ष रक्ष परमंत्रान् छिन्द छिन्द मम समीहितं कुरु कुरु स्वाहा। hि - १२००० ऋद्धि मन्त्र का जाप करने से सम्पत्ति का लाभ होता है। ३७ ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो सब्बोसहिपत्ताणं। मंत्र ॐ णमो भगवते अप्रतिचक्रे ऐं क्लीं ब्लू ॐ ह्रीं मनोवांछित सिद्धद्यै नमो नमः अप्रतिचक्रे ह्रीं ठः ठः स्वाहा। विधि- मन्त्रित जल के छींटे मुंह पर देने से दुर्जन पुरुष वश में हो जाया करते हैं। और उनकी जबान वश में हो जाती है। ३८. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो मणोवलीणं। मंत्र- ॐ नमो भगवते महानागकुलोच्चाटिनी कालदष्टमृतकोस्थापिनी पर-मन्त्र प्रणाशिनी देवी-देवते ह्रीं नमो नमः स्वाहा। hि :- ऋद्धि- मन्त्र की आराधना से हस्ति-मद उतर जाता है और अर्थ-प्राप्ति होती है। ३९ ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो वचनबलीणं । मंत्र ॐ णमो एषु दत्तेषु वर्द्धमान तव भयहरं वृत्तिवर्ण येषु मन्त्राः पुनः स्मर्तव्या अतोना परमंत्र निवेदनाय नमः स्वाहा। विधि- ऋद्धि-मन्त्र की आराधना से वनराज (सिंह) भी परास्त हो जाता है और सर्प भय भी नहीं रहता। ४०. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो कायबलीणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं अग्नि उपशम कुरु कुरु स्वाहा। विधि-ऋद्धि मन्त्र की आराधना से अग्नि का भय मिट जाता है। ४१. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो खीरसवीणं। मंत्र- ॐ णमो श्रां श्रीं श्रृं श्रः जलदेवि कमले पद्मदनिवासिनी पद्मो-परिसंस्थिते सिद्धिं देहि मनोवांछितं कुरु कुरु स्वाहा। विधि-ऋद्धि -मन्त्र को जपने और झाड़ने से सर्प का विष उतर जाता है। 220

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