Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 126
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर २१. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो पण्णसमणाणं । मंत्र- ॐ नमः श्री मणिभद्र जय विजय अपराजित सर्व सौभाग्यं सर्व सौख्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- २१ दिन तक १०८ बार जपने से सर्व अपने वशवर्ती होते हैं और सौभाग्य बढ़ता २२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो आगासगामिणं । मंत्र- ॐ णमो विरेही जंभय जंभय मोहय मोहय स्तम्भय स्तम्भय अवधारणं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ऋद्धि मन्त्र से मंत्रित हल्दी की गाँठ को मंत्रित कर चबाने से डाकिनी शाकिनी भूत-पिशाच-चुडैलादि भाग जाते हैं। २३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अ& णमो आसीविसाणं। मंत्र- ॐ णमो भगवती जयावती मम समीहितार्थ मोक्ष-सौख्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ऋद्धि मन्त्र को १०८ बार जपकर अपने शरीर की रक्षा करें, पश्चात् इसी मन्त्र से झाड़ने पर प्रेत बाधा दूर होती है। २४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो दिट्ठिविसाणं । मंत्र- स्थावर जंगम काय कृतं-सकलविषं यद्भत्तेः अमृतायते दृष्टिविषास्ते मुनयः वड्ढमाणं स्वामी सर्वहित कुरु कुरु स्वाहा। ओं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौ ह्र: अ सि आ उ सा झौं झों स्वाहा। विधि- राख मंत्रित कर शिर में लगाने से शिर-पीड़ा दूर होती है। २५. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो उग्गतवाणं । मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा झौं झौं स्वाहा। ॐ नमो भगवते जय विजयापराजिते सर्वसौभाग्यं सर्व सौख्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ऋद्धि मंत्र सश्रद्धा जपने से नजर उतर जाती है और अग्नि का असर नहीं होता। २६. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो दित्ततवाणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हूं हूं परजनशांति व्यवहारे जयं जयं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ऋद्धि मंत्र से मंत्रित तेल सिर में लगाने से आधा शीशी का सिर दर्द दूर होता है। २७. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो तत्ततवाणं । मंत्र- ॐ णमो चक्रेश्वरी देवी चक्रधारिणी चक्रेणानुकूलं साघय साधय शत्रू नुन्मुलयोन्मूलय स्वाहा। 218

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