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मंत्र यंत्र और तंत्र
मंत्र अधिकार
मुनि प्रार्थना सागर
निद्रा तन्द्रा का नाश करने वाला है I
( 3 ) कर्ण रोग विनाशक मंत्र - ॐ ह्रीं अर्हं णमो अणंतोहिजिणाणं कर्णरोग विनाशनं भवतु ।
विधि - शुभ दिन, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र से जाप प्रारम्भ करके त्रिकाल जाप करें तो अवश्य ही लाभ हो ।
( 4 ) कर्णमूल का मंत्र - बनाह गठि बनरी तो डाटे हनुमान कंटा बिलारी वाघी थनैली कर्णमूल सब जाय । रामचन्द्र का वचन पानी पथ हो जाय।
विधि - सात बार मंत्र पढ़कर राख से झाड़ने पर कर्णमूल को लाभ होता है । (99) दांत, दाढ़, मुख के रोग शांत
(1) दांत वेदना ठीक मंत्र ॐ निरू मुनि स्वाहा ।
विधि - मंत्र से झाड़ देने से दांत की वेदना शांत होती है।
(2) दाढ़ पीड़ा शान्त मंत्र - समुंद्र समुंद्र मोहि दीपु दीप माहि धनाढयु जी दाढ की खाउ दाढ कीडउ नर वाहित "अमुक " तणइ पापी लीजउ ।
विधि - इस मंत्र से ७ बार या २१ बार मंत्रित करने से दाढ़ की पीड़ा दूर होती है । (3) दाँत के कीड़े निकले : ऊँ हर हर भमर चक्षु स्वाहा ।
विधि : मंत्र से सुपारी को २१ बार मंत्रित कर खावें तो दाँत के कीड़े बाहर आ जाते हैं।
(7) दांत के दर्द निवारण मंत्र - अग्नि बांधौं, अग्नीश्वर बांधौं, सौ लाल विकराल बांधौं, सौ लोह लोहार बांधौं, वज्र के निहाय वज्र धन दांत विहाय तो महादेव की आन । विधि- ध- सात बार मंत्र पढ़कर फूंकने से दांत का दर्द तुरन्त दूर होता है ।
( 5 ) दांतों का किरकिराना बन्द हो, मंत्र - ॐ हरे हरे भ्रम भ्रम चक्षु स्वाहा ।
विधि - सुपारी के टुकड़े को १०८ बार मन्त्रित करके मुख में रख कर सोने से दांतों का किरकिराना बन्द हो जाता है।
( 6 ) मुख रोग नाशक मंत्र - ॐ नमो अरहउ भगवऊ मुख रोगान्, कंठ रोगान्, जिह्वा रोगान् तालु रोगान्, दंत रोगान्, ॐ प्रां प्रीं प्रः सर्व रोगान् निर्वतय - निर्वतय स्वाहा । विधि - इस मंत्र से जल मन्त्रित कर कुल्ला करने से सर्व मुख रोग नष्ट होते हैं।
(3) मुख के रोग शांत- ॐ नमो अरहऊ भगवऊ मुखरोगान् कंठरोगान् जिह्वा रोगान् तालु रोगान् दांत रोगान् ॐ प्रां प्रीं प्रं प्रः सर्व रोगान् निवर्त्त - २ स्वाहा । विधि - इस मंत्र से पानी मंत्रित करके कुल्ला करने से सर्व प्रकार के मुख रोग शांत होते हैं ।
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