________________
मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
४४. ऋद्धि- ॐ णमोसिद्धायदणाणं।
फल- प्रतिदिन जप से राज्यादि वश में होते हैं। ४५. ऋद्धि- ॐ णमो अक्खीण महाणसाणं। ४६. ऋद्धि- ॐ णमो वड्डमाणाणं। ४७. ऋद्धि- ॐ भगवदो महदि महावीर वढ्डमाण बुद्धिरिसीणं । ४८. ऋद्धि- ॐ वार सुवरे अ सि आ उ सा नमः। फल- त्रिकाल जप से वैभव होता है।
___122. कल्याणमंदिर स्तोत्र ऋद्धि-मंत्र विधि १-२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो इट्ठकज्जसिद्धिपराणं जिणाणं कं ह्रीं अ णमो दव्वं
कराणं २ ओहिजिणाणं। मंत्र-ॐ नमो भगवति यमेण उप्पाडिया जोहा कंठोट्ठमुहतालुआ खीलिया जो मं भसइ जो मं हसइ दुट्ठदिट्ठीए वज्जसिंखलाए (देवदत्तस्य) मण हिययं कोह जीहा खीलिया सेलखियाए ल ल ल ल ठः ठः ठः स्वाहा। विधि- १०८ बार जप से वाद-विवाद में विजय होती है। प्रतिवादी का मुँह बन्द होता है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो समुद्दभय सामणबुद्धीणं परमोहि जिणाणं । मंत्र-ॐ ह्रीं हर कली वगलामुखी देवो नित्ये ! विन्ने! मदद्रवे मदनातुरे वषट स्वाहा। विधि- पुष्य नक्षत्र में इस मन्त्र को २१ दिन तक १२००० जप करने से तीन लोक
वश में होते हैं। ४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अकालमिच्चुवारयाणं सव्वोहिजिणाणं।
मंत्र-ॐ नमो भगवति ओं हीं श्रीं क्लीं अहँ नमः स्वाहा। विधि- नौ वर्ष तक प्रतिवर्ष ४० रविवार के दिन प्रति १००० जप से गर्भपात
अकाल मरण नहीं होता। ५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो गोधणबुड्डिकराणं अणंतोहिजिणाणं।
मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूँ अहँ नमः।
विधि- प्रतिदिन १०८ जप से खोई हुई सम्पत्ति, धनादि का लाभ होता है। ६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो पुत्तइ त्थिकरणं कोठबुद्धीणं।
- 197