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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(2) गायत्री मंत्र - ॐ भूर्भुवः स्व तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
विधि
इस मंत्र की प्रतिदिन १०८ बार जाप करना चाहिए ।
( 3 ) मंगल ग्रह निवारण मंत्र - ॐ आं क्रौं श्रीं क्लीं भौमारिष्ट निवारक श्री वासुपूज्य जिनेन्द्राय नमः शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा ।
विधि - इस मंत्र की प्रतिदिन प्रातः काल दो माला जाप करें, छह माह तक ।
(4) कालसर्प दोष निवारण मंत्र - (अ) ॐ ह्रीं क्लीं ऐं केतु अरिष्ट निवारक श्री मल्लिनाथ जिनेन्द्राय नमः शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा ।
(ब) ॐ ह्रीं भ्र्व्यू बीजाक्षर सहिताय श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नमः ।
विधि - इन मंत्रों में से किसी भी मंत्र की यंत्र के सामने छह माह में 51 हजार जाप करना चाहिए।अर्थात् सुबह, दोपहर व रात को तीनों समय एक-एक माला करना चाहिए । (5) केतु राहु ग्रह पीड़ा निवारक मंत्र - ॐ णमो अरिहंताणं, ॐ णमो सिद्धाणं, ॐ णमो आइरियाणं, ॐ णमो उवज्झायाणं, ॐ णमो लोए सव्व साहूणं ।
विधि - इस मंत्र की दस हजार जाप करना चाहिए ।
( 6 ) भगवान पारसनाथ का मूल मन्त्र - “ ॐ पां पारसनाथाय नमः"। इस मंत्र की प्रतिदिन १०८ बार जाप करना चाहिए।
विधि
नोट-म
- मन्त्र बीज और मन्त्र बनाने के विधान में बताया गया है कि 'स्वर और व्यंजन पर अनुस्वार ( ं) बिन्दु लगाने पर वह मन्त्र बीज बनता है । यदि कभी मंत्र बनानें कि आवश्यकता हो तो उस दशा में नाम के प्रथम अक्षर पर बिन्दु लगावें और नाम के साथ चतुर्थीभक्ति जोड़ें। नाम के आगे प्रणय और अन्त में नमः पल्लव लगाने पर वह उस देव का मूल मन्त्र बन जाता है- जैसे पारसनाथ"ॐ पां पारसनाथाय नमः”। यह भगवान पारसनाथ का मूल मन्त्र है।
(7) भगवान महावीर स्वामी का मूल मन्त्र- "ॐ मं महावीराय नमः"। विधि
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इस मंत्र की प्रतिदिन १०८ बार जाप करना चाहिए ।
( 8 ) अष्टाक्षरी मंत्र - ॐ णमो अरहंताणं ।
विधि
- इस मंत्र का ११०० जाप करने से अत्यन्त शान्ति प्राप्त होती है ।
( 9 ) महान प्रभावक नमस्कार मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं णमो अरहंताणं, ॐ ह्रीं श्रीं णमो सिद्धाणं, ॐ ह्रीं श्रीं णमो आइरियाणं, ॐ ह्रीं श्रीं णमो उवज्झायाणं, ॐ ह्रीं श्रीं णमो लोए सव्व साहूणं ।
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