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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(6) अग्नि उतारण मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वद-वद वाग्वादिनी क्लीं नमो ॐ अमृते वर्षणि पट्पट प्लावय -प्लावय ॐ हंसः।
(84) आकाश गमन मन्त्र (1)आकाश गामिनी मंत्र- ॐ णमो आगास गमणाणं झों झों स्वाहा। विधि- इस मंत्र को २८ दिन तक अलूणा कांजि व्रत (एक बार भोजन) करके १०८
जाप्य करें, तो १ योजन तक आकाश में गति होय। (2)आकाश गमन मन्त्र (अ) ॐ णमो आगासगमणिज्जो स्वाहा। अथवा
(ब) ॐ णमो अरहंताणं ॐ णमो सिद्धाणं ॐ णमो आइरियाणं, ॐ णमो
उवज्झायाणं, ॐ णमो लोए सव्व साहूणं । विधि- २५० दिन अलूना भोजन कांजी से करके सिद्ध करें फिर वक्त पर २४९ बार पढ़ें तो आकाश गमन होय।
(85) सर्पविष नाशक मंत्र (1) सर्पविषहर मंत्र : " ऊँ नमो भगवते पार्श्वनाथ तीर्थंकर हंसः महाहंसः शिवहंसः
कोपहंसः उरगेशहंसः पक्षि महाविष भक्षि हूं फट् (स्वाहा)।" विधि : इस मंत्र को २१ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार जपकर सिद्ध करें, फिर समय पड़ने
पर साँप से काटे को झाड़ने से विष दूर हो जाता है। (2) सर्पविष नाशक मंत्र : ऊँ यः यः सः सः हः हः वः वः उसरिल्लय रूह रूहन्त ऊँ ह्रीं पार्श्वनाथाय दह दह दुष्ट नागविषं क्षिपं ऊँ स्वाहा। वधि : २१ दिन तक प्रतिदिन १००० जपकर सिद्ध कर लें। पुनः समय पर सात बार उक्त
मंत्र से जल मंत्रित कर सांप से कटे व्यक्ति को पिलाने से सर्पविष दूर होता है। (3) सर्प विषहर मन्त्र : ऊँ नमो भगवति वृद्धगरूडाय सर्पविष विनाशिनि छिन्द छिन्द भिन्द भिन्द गृह गृह एहि एहि भगवति विद्ये हर हर हूं फट् स्वाहा। विधि : उक्त मंत्र को पढ़ते हुए जहर चढ़े हुए व्यक्ति के समीप जोर-जोर से ढोल बजाने
से जहर उतर जाता है। १०८ बार पढ़ें। (4) सर्प का जहर नष्ट करने का मंत्र- ॐ सुरबिन्दु सः । विधि- मंत्र को पढ़ता जाये और नीम के पत्तों से झाड़ता जाये तो सर्प का जहर उतर जाता है। (5) जब तक जग में जीवें सर्प न काटे- ॐ णमो सिद्धाणं पंचैण (पंचनं) विधि-यह मंत्र दीवाली को १०८ बार जप लें। जब तक जग में जीवें सर्प का भय टले। (6) झाड़ने से विष शान्त होय- ॐ ह्रीं श्रीं ह्रमली त्रिभुवन हूं स्वाहा।
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