Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 74
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि- पूर्व दिशा की ओर मुख करके किसी एकान्त स्थान में बैठकर ८ या २१ दिन तक । प्रतिदिन मुट्ठि बांधकर इस मंत्र का ११०० जाप से सब दुष्ट क्रूर व्यंतरों से मुक्ति प्राप्त होती है। (9) भूत पिशाचादि व्यंतरों से छुटकारा- ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्व दुष्टान् स्तम्भय स्तंभय मोहय मोहय अंधय अंधय मूकवत्कारय कुरु कुरु ह्रीं स्वाहा। विधि- २१ दिन लगातार १०८ बार जप रोज करने से भूत पिशाच आदि व्यंतरों से छुटकारा मिल जाता है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो आगासगामिणं। (10) प्रेतबाधा दूर होती है- ॐ नमो भगवती जयावती मम समीहितार्थ मोक्ष सौख्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि-ऋद्धि मंत्र को १०८ बार जपकर अपने शरीर की रक्षा करें तत्पश्चात् इसी मंत्र से __झाड़ने पर प्रेत बाधा दूर होती है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो आसीविसाणं। (11) भूत प्रेत आदि का उपद्रव शांत- ॐ अमृते अमृतोद्भवे अमृतवर्षिणी अमृतं स्रावय स्रावय सं सं क्लीं क्लीं ब्लू ब्लू द्रां द्रीं द्रावय द्रावय ह्रीं स्वाहा। विधि- उक्त मंत्र को २१ बार जल को मंत्रित कर कुल्ला करने से व मुंह धोने से भूत प्रेत आदि का उपद्रव दूर होता है। ( 12 ) भूतप्रेत ग्रह पीड़ा तथा ज्वरनाशक मंत्र- ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथ ह्रीं धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय आत्मचक्षु, प्रेतचक्षु, पिशाचचक्षु, शाकिनी-डाकिनी चक्षु, सर्वग्रहनाशाय, सर्व ज्वर नाशाय, त्रासाय ॐ णमो अरिहंताणं भूतपिशाच शाकिन्यादि गणान् नाशय हूँ फट् स्वाहा। विधि- यह मंत्र १० माला (एक हजार) जाप से सिद्ध हो जाता है अतः सिद्ध करके उपयोग में लें। (13) भूतप्रेत रक्षक मंत्र- ॐ ह्रीं भूतप्रेत बाधा निवारकाय श्री पद्मप्रभुदेवाय नमः । विधि- शुभ मुहुर्त में सिद्ध कर प्रयोग समय १०८ बार पढ़ें। (14) शाकिनी भूतपिशाच विनाशक मंत्र- ॐ णमो अरिहंताणं भूत पिशाच शाकिन्यादि गणान् नाशय नाशय हूं फट् स्वाहा। विधि- इस मंत्र की १०८ बार जाप करना चाहिए। (15) भूतप्रेत रक्षक मंत्र- ॐ ह्रीं क्लीं ब्लूं कलिकुंड स्वामिन् सकल कुटुंब रक्ष रक्ष = 166

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