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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
विधि - आंगन को लीपकर दीपक जला लें तथा शक्कर के बताशे रख लें । फिर वहीं बैठकर २१००० बार जपें तथा मंत्र जपने के बाद वे बताशे कुँवारी कन्या को बाट दें तो यह देवी सिद्ध होती हैं । तथा सारे प्रश्नों के उत्तर स्वप्न में दे देती है । यदि यह जप एक लाख सतत कर लिया जाय, तो चक्रेश्वरी ( स्वप्नेश्वरी ) देवी प्रत्यक्ष स्त्री रूप में आकर दर्शन देती है तथा वरदान देती है ।
(6) स्त्री संबन्धी सर्व रोग निवारण मन्त्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं असि आउ सा भूर्भुवः स्वः चक्रेश्वरी देवी सर्व रोगं भिंद भिंदं ऋद्धि वृद्धि कुरु कुरु स्वाहा । विधि - श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जाप करने से स्त्री संबन्धी समस्त कठिन रोगों का नाश होता है और सर्व सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। ( 30 ) पापभक्षिणी विद्या
(1) पापभक्षिणी विद्या- ॐ अर्हन्मुखकमल वासिनी पापात्मक्षयंकरि श्रुतज्ञानज्वाला सहस्रप्रज्वलिते सरस्वति मम् पापं हन हन दह दह क्षां क्षीं क्षं क्षौं क्षः क्षीरवर धवले अमृतसंभवे वं वं हूं हूं स्वाहा।
विधि- चौबीस हजार सफेद पुष्पों पर जपें तथा जपते वक्त धूप जलाकर रख लें मंत्र सिद्ध होय । (2) त्रिभुवन स्वामिनी विद्या- ॐ ह्रां णमो अरिहंताणं ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं । ॐ हूं णमो आइरियाणं ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं, ॐ हृः णमो लोए सव्वसाहूणं । श्रीं क्लीं नमः क्षां क्षीं क्षं क्षं क्षौं क्षः स्वाहा ।
विधि- चौबीस हजार सफेद पुष्पों पर जपें तथा जपते वक्त धूप जलाकर रख लें मंत्र सिद्ध होय । ( 31 ) कर्ण पिशाचिनी की सिद्धि
(१.) प्रथम मूलमंत्र - ॐ ह्रीं श्रवण पिशाचिनी मुण्डे स्वाहा ।
विधि - यह मन्त्र एक लक्षजप से सिद्ध होता है । फिर कुट मूल को २१ बार इस मंत्र से अभिमंत्रित करके अपने हृदय, मुख, दोनों कान और दोनों पैरों को इससे पोते तो कर्णपिशाचिनी सोते हुए में सोचे हुए कार्य को कान में कहती है।
(२.) द्वितीय मूलमंत्र - ॐ नमो कर्ण पिशाचिनी वद २ कनक पिशाचि वज्र वैडूर्य मुक्ताभरण निर्मलालंकृत शरीरे एहि २ आगच्छ २ त्रैलोक्यदर्शनि मम कर्णे प्रविश्यातीतानागत वर्तमानं कथय २ रुद्राज्ञापयति ठः ठः ।
विधि - पहिले इस रुद्र कर्ण पिशाचिनी मंत्र को तीन लक्ष जपकर होम करें । सिद्ध होने पर इस मंत्र की देवी से पूछने पर वह कर्ण में सत्य २ कहती है।
( ३. ) तृतीय मूलमंत्र - ॐ
शुभे भगवती कर्ण पिशाचिनी सत्यं कथय २ ठः ठः ।
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