Book Title: Mandan Granth Sangraha Part 02
Author(s): Mandan Mantri
Publisher: Laherchand Bhogilal Shah

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री हेमचन्द्राचार्यग्रन्थावली. क्षितिपतितनयास्ते तुष्टाष्टमूर्त्तिम् । प्रविहितनतयस्त तीर्थजाताभिषेकाः प्रमुदितमनसस्तं तत्र निर्धूतपापाः ॥ ५८॥ नयनदहनदग्योदामकामं निकामं धृतमधुरिमवामार्द्धाङ्गसमेमरामम् । अशमयमविरामं सेवितारामसीमं निगममहिमधाम श्री जटामं भजामः ॥ ५९॥ भीमा भीमादक्षा त्रिभुवनभुवनाधारभूतारभूता रामारामा तिरुच्यालपनलपनसन्नाभिरामाभिरामा । शान्ता शान्ता त्रिशूल महरणहरणा सर्वदा सर्वदात्री नेत्रीनेत्रीकृताहस्कररुचिररुचिदीप्यमानाप्यमाना || ६०|| ( ३९ ) वश्याऽवश्यायभूभृदुहितुरहितु रोपाहिल. साविलासाsaintनीहारहारप्रकरक करकोज्जं का शाभकाशा | स्तुत्याऽस्तुत्यागशीलाशुभ सितम सिता जमाना जमानानित्याऽनित्यानभक्त्यातसुरतन्तुरसौभाग्यसौभाग्यदेशी ॥ ६१ ॥ युग्मम् ॥ काली काली विशुद्धां हिमरुचमरुचद्वयापिनाकंपिनाकं भावी भावीतिहोत्रं रुचिररुचिरमममालं ममालम् । योगं योगं च विभ्रज्जनभजनभरोद्धततापंततापं सद्यः संयोज्यो भवतु भवतुदाभीलताभीलताभित् ||६२ || पाता पातालतीव्रं विषमविषमघाघः पुराणः पुराणां शास्ता शस्तरिवर्गोऽनुत तनुततिं भासली भासलीलाम् । कृत्याकृत्यादधत्य इवलिभबलिनद्वामदामामदामा दद्यादद्यायमश निहितमहितध्वान्तवारंवारम् || ६३ || राजा राजार्चितत्वं वितनुर चिततनुव्योमदेहोमदेहः कीलाकील, ल कायोऽविरतविरतयोऽवधूतोवधूतः । For Private and Personal Use Only

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