Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ (vi) वाराणसी में दो वर्ष तक स्थिरवास करके मैंने प्रस्तुत प्रबन्ध को साकार रूप दिया है। इस अवधि में श्री जैन श्वेताम्बर पंचायती बड़ा मंदिर एवं खरतरगच्छ संघ, कोलकाता द्वारा प्राप्त हुई विशिष्ट सेवाओं के लिए उनका आभार प्रकट करता हूँ। इसी क्रम में इतिहासविद् श्री अगरचंद जी नाहटा, विद्वद्वर्य श्री भंवरलालजी नाहटा, समाज रत्न श्री ज्ञानचन्दजी लूणावत, कोलकाता; देवतुल्य भाई श्री प्रकाशचन्द जी दफ्तरी. बीकानेर/कोलकाता; श्रीमती कमला जैन, शाजापुर; अनन्य सेवाभावी श्रीमती बेलादेवी वाराणसी आदि के निरन्तर सहयोग हेतु धन्यवाद समर्पित करता हूँ। प्रस्तुत प्रबन्ध पुनर्प्रकाशन हेतु जोधपुर के खरतरगच्छ श्रीसंघ एवं जितयशा फाउंडेशन की सक्रियता अभिनन्दनीय है। जोधपुर के समादृत समाज-रत्न श्री कुंदनमल जी जिंदानी के आग्रह और अनुरोध के कारण ही इस ग्रन्थ का पुनर्प्रकाशन सम्भव हो सका है। पुनः अभिवादन सहित। -चन्द्रप्रभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 508