Book Title: Mahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Author(s): Bhagwati Prasad Khetan
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ प्रस्तावना प्रो० कृष्णदत्त वाजपेयी भारतीय संस्कृति के निर्माण में जैन-धर्म का उल्लेखनीय योगदान है। इस संस्कृति में चार मुख्य स्तंभ-सत्य, अहिंसा, त्याग और परोपकार हैं। जैन-धर्म में इनके महत्त्व को स्वीकार कर, विभिन्न विचारधाराओं में समन्वय की भावना पर बल दिया गया। जैन-धर्म में वैदिक आस्था की जगह श्रमण-परम्परा का महत्त्व है। प्राचीन भारतीय साहित्य एवं अभिलेखों में श्रमण-परम्परा तथा उसके प्रमुख प्रवक्ता महावीर के सम्बन्ध में प्रचुर उल्लेख मिलते हैं। तत्संबंधी अनेक साहित्यिक मान्यताओं को मूर्तिकारों तथा चित्रकारों ने भी अपनी कृतियों में मूर्त रूप प्रदान किया। जैन धर्म सम्बन्धित पुरालेखों, मूर्तियों तथा चित्रों के रूप में पुष्कल सामग्री उपलब्ध है। इनसे साहित्यिक विवरणों की पुष्टि में सहायता मिली है। जैन-धर्म में नैतिक आचरण तथा सह-अस्तित्व की भावना पर विशेष बल दिया गया । अतः यह धर्म जनता में बहुत आदत हुआ। जैन परम्परा के अनुसार महावीर से पहले तेईस तीर्थंकर हए। आगमिक व्याख्याओं में महावीर के जीवनकाल में ही उनकी चन्दन की प्रतिमा निर्मित होने के उल्लेख मिलते हैं। अनुश्रुति के अनुसार महावीर की चन्दन प्रतिमा सिन्धुसौवीर के शासक उद्दायण ( रुद्रायण ) के अधिकार में थी। बाद में उज्जैन के शासक प्रद्योत ने उनसे मूर्ति लेकर उसे विदिशा नगरी में रखा। उसकी एक प्रतिकृति बनवाकर वीतभयपट्टन नामक नगर में रखी गयी। दैवयोग से भारी झंझावात के कारण वह प्रतिकृति भूमि के नीचे दब गई। उसके दबने से सारा नगर नष्ट हो गया । श्री हेमचन्द्राचार्य के अनुसार गुजरात के प्रसिद्ध शासक कुमारपाल ने उस प्रतिकृति को निकलवाकर उसे अणहिलपाटन नगर में प्रतिष्ठापित कराया। ___ महावीर की इस चन्दन-प्रतिमा के आधार पर कालान्तर में अन्य मूर्तियों का निर्माण हुआ होगा। कलिंग के प्रसिद्ध शासक खारवेल का एक अभिलेख भुवनेश्वर के समीप हाथीगुफा में मिला है। इस लेख के अनुसार कलिंग में तीर्थंकर की एक प्राचीन मूर्ति थी, जिसे मगध के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 268