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पं श्री हीरालाल जी सिद्धान्त शास्त्री
व्यावर (राजस्थान)
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जैन वाड्मय एवं समाज के अनन्य सेवक
षटखण्डागम के सुयोग्य सम्पादक
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आभार उपरोक्त परामर्शदातृ विद्वान् मंडली ने प्रस्तुत ग्रन्थ निर्माण के पूर्व एव पश्चात् समय-समय पर उचित । * निर्देशन एव सशोधन प्रदान कर इसे निर्दोष बनाने मे । * जो योग-दान दिया है उसके प्रति श्री कुन्थु सागर । • स्वाध्याय सदन (सस्था) अपनी कृतज्ञता प्रकट करती है
-व्यवस्थापक +
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