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गणधर = लोकोत्तर जान, दर्शन आदि गुणों के समूह को धारण करने वाले तीर्थंकरों के प्रधान शिष्य, जो उनकी वाणी का सूत्र रूप में संकलन करते हैं । श्रमण भगवान महावीर के ग्यारह गणधरों में इन्द्रभूति गौतम प्रथम गणधर थे। अतिचार = व्रत भंग के लिए सामग्री एकत्र करना या एक देश से व्रत का खण्डन करना। आलोचना = प्रायश्चित्त स्वरूप अपने दोषों, भूलों वस्तुत: चूक को गुरु के सम्मुख प्रकट करना। अणुव्रत = हिंसा, असत्य, स्तेय, अब्रह्मचर्य और परिग्रह का यथा शक्ति एक देशीय त्याग | ये व्रत गृहस्थों के हैं और इनका पालन करने वाला गृहस्थ श्रावक तथा गृहिणी श्राविका कहलाती हैं ।गुणव्रत = श्रावक के बारहवें व्रतों में छठा, सातवा और आठवां गुणव्रत कहलाते हैं। शिक्षाव्रत = बार-बार सेवन करने योग्य अभ्यास-प्रधान व्रतों को शिक्षा-व्रत कहते है।समवसरण = तीर्थकर परिषद् । जहाँ पर तीर्थंकर देशना या उपदेश देते हैं, वह स्थान समवसरण कहलाता है। देशना = तीर्थंकर का धर्म उपदेश | श्रमण-मुनियों की प्रवचन-सभा को भी समवसरण ही कहते हैं।श्रावक की प्रतिमा = विशेष प्रकार की प्रतिज्ञा, कायोत्सर्ग प्रत्याख्यान = त्याग करना | महाबत = अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह इन नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना। संलेखना = शारीरिक तथा मानसिक एकाग्रता से कषायादि का शमन करते हुए तपस्या करना | संथारा = अन्तिम समय में आहार आदि का परिहार/परित्याग करना |महाश्रमण = साधना के सर्वोच्च शिखर . पर स्थित सुनि।
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1. आनंद के जीवन की प्रमुख विशेषता बताएं। 2.. आनंद के पास वाणिज्य ग्राम और वैशाली के लोग निर्भय होकर क्यों पहुंच जाते थे? 3. भगवान महावीर से आनन्द ने कौन सी प्रतिज्ञायें लीं? 4. गणधर गौतम ने भगवान से क्या प्रश्न किया? 5. आनंद ने शिवानंदा से क्या कहा था ? 6. आनंद ने अपने ज्येष्ठ पुत्र को घर का प्रमुख क्यों बनाया था ? 7. आनन्द वाणिज्य ग्राम को छोड़कर कोल्लाग सन्निवेश की पौषधशाला में क्यों गये थे? 8. प्रतिमायें क्या होती है ? 9. आनन्द श्रावक और गणधर गौतम के कथन में किसका कथन सत्य था? 10. क्या आनन्द ने उसी जन्म में मोक्ष प्राप्त किया?
गृहपति आनन्द/17