________________
5
श्रावक चुल्लशतक
आलभिका नगरी में जितशत्रु राजा का राज्य था । इस नगर में महावीर का परम भक्त श्रावक चुल्लशतक भी रहता था । जैसा उसे जिन धर्म में प्रशस्त अनुराग था, वैसा ही अनुराग उसकी पत्नी बहुला को भी था । दोनों ने भगवान महावीर से पांच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत इस प्रकार दोनों ने ही बारह व्रत ग्रहण किये थे । इनके तीन पुत्र थे । तीनों आज्ञापालक थे । सम्पत्ति इतनी थी कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी उपभोग करने पर भी समाप्त नहीं हो सकती थी ।
चुल्लशतक ने अपनी उम्र का सत्य पहचाना । ज्येष्ठ पुत्र को घर व व्यवसाय संभलवाकर पौषधशाला में एकाग्र मन से धर्माराधन करने लगा |
धर्म की आराधना, तपस्या, व्रत - नियम संयम थे और इस तरह के अन्य अनेक अनुष्ठान सभी कुछ मनुष्य भव में ही संभव हैं । देव और नारक गति में इन सब की संभावना तक का अभाव होता है । यही कारण है बहुधा देवेन्द्र मानव में प्रज्वलित धर्म ज्योति को देख व्रत न कर सकने के अभाव में तापस के सत्य व्रत की अनुशंसा करते हैं । मिथ्या दृष्टि देव और सम्यक् दृष्टि देव - दोनों प्रकार के देव होते हैं । सम्यक् दृष्टि देव विशिष्ट साधकों की प्रशंसा सुन गुणानुरागी की तरह प्रसन्न होते हैं । मिथ्यादृष्टि देवों को सत्य-साधक की प्रशंसा नहीं सुहाती । वे तुरन्त धरती पर आते हैं और मनुष्य की तपस्या साधना आदि की परीक्षा लेने लगते हैं ।