Book Title: Mahavir Ke Upasak
Author(s): Subhadramuni
Publisher: Muni Mayaram Sambodhi Prakashan

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Page 70
________________ परिशिष्ट श्रावक के बारह व्रता पांच अणुव्रत 1. अहिंसा अणुव्रत : निरपराध त्रस जीव की संकल्पपूर्वक हिंसा का त्याग करना, न करवाना, मन, वचन और काया से। 2. सत्य अणुव्रत : स्थूल (मोटा) झूठ न बोलना, न बोलवाना, मन, वचन और काया से | 3. अस्तेय अणुव्रत : लोक विरुद्ध स्थूल चोरी न करना, न करवाना, मन, वचन और काया से | 4. ब्रह्मचर्य अणुव्रत : श्रावक पर-स्त्री को माता, बहिन एवं पुत्री की दृष्टि से देखें और अपनी स्त्री की मर्यादा करे। 5. परिग्रह अणुव्रत : अपनी इच्छाओं को सीमित करते हुए धन-धान्य, जमीन, मकान आदि के परिग्रह की मर्यादा करे। तीन गुणव्रत 6. दिशा-परिमाण व्रत : इसमें साधक पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ऊँची और नीची, इन छह दिशाओं में आवागमन की मर्यादा करे। 7. उपभोग - परिभोग परिमाण व्रत : दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुओं के प्रयोग की मर्यादा करें और पन्द्रह कर्मादान का त्याग करें। 8. अनर्थ -दण्ड विरमण व्रत : निष्प्रयोजन पाप क्रियाओं का परित्याग अनर्थ -दण्ड का त्याग व्रत है। चार शिक्षा व्रत 9. सामायिक व्रत : श्रावक प्रतिदिन प्रात: सायं शुद्ध सामायिक (साधना-विशेष) करे। 10..देशावकासिक व्रत : मुमुक्ष गृहस्थ संवर (साधना विशेष) व्रत करे तथा चौदह नियम धारण करे और तीन मनोरथों का चिन्तन करे।

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