Book Title: Mahavir Ke Upasak
Author(s): Subhadramuni
Publisher: Muni Mayaram Sambodhi Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ | श्रावक नन्दिनीपिता श्रावस्ती नगर में रहता था नंदिनीपिता। इस नगर में नंदिनी के समान अन्य अनेक महावीरउपासक भक्त रहते थे। उन भक्तों की यह कामना रहती थी कि वह दिन धन्य होगा, जब प्रभु महावीर श्रावस्ती नगर में पधारें और हम उनकी जनकल्याणी भव्य वाणी का श्रवण करें एवं उस वाणी को हृदय में धारण करें, जिससे हमारा भवबंधन मिट सके। नंदिनीपिता भी ऐसा सोचते थे। इसके लिए उन्होंने अपने घर पर ऐसे अनुचर रखे हुए थे, जो भगवान महावीर एवं अन्य पाँच महाव्रत धारी मुनिराजों के श्रावस्ती पधारने की उनको सर्वप्रथम सूचना देते थे। वे सेवक जब श्रावस्ती में मुनिराज पधारते तो उमंगित होकर नंदिनी व श्राविका अश्विनी को सूचित करते थे। दम्पती भक्तिभाव से मुनिजनों के दर्शन करने जाते व वीतराग वाणी का गद्गद् भाव से श्रवण करते थे। यथाशक्ति व्रत प्रत्याख्यान भी लेते। बहुत दिन हो गए थे -नंदिनीपिता यह चिंतन करते, विचारते कि इस बार श्रमण भगवान महावीर उसके नगर में पधारेंगे तो वह धर्मानुरागिनी अश्विनी को साथ ले जायेगा। प्रभु की वाणी सुनेगा और श्रावक के १२ व्रत ग्रहण करेगा। प्रभु के श्रीमुख से ही पाँच अणुव्रत, चार शिक्षाव्रत एवं तीन गुणव्रत ग्रहण कर मुनि । श्रमण के आचारवत् आत्मकल्याण के पथ पर नियमतः अग्रसर होगा।

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74