Book Title: Mahavir Ke Upasak
Author(s): Subhadramuni
Publisher: Muni Mayaram Sambodhi Prakashan

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Page 31
________________ MASSASURAR शब्दार्थ hann वन्दना = मन-वचन- कर्म का वह प्रशस्त भाव, जिससे तीर्थंकरों - श्रमणों के प्रति बहुमान प्रकट करना | पौषधव्रत = इसके माध्यम से आत्म शोधन में निरत होकर संसार शोधन में लगने का एक प्रकार । आत्म-चिन्तन द्वारा साधक को विश्रान्ति लेने का एक साधन । आत्मधन प्राप्ति में संलग्नता । पौषधव्रत से आत्मबल में वृद्धि होती है और आध्यात्मिकता की उपलब्धि भी | धर्म - प्रज्ञप्ति धर्म-उपदेश | प्रवृत्ति ANNAS----- अभ्यास -------d = आचरण । निवृत्ति = त्याग | धर्म- जागरण = धर्म आचरण के लिये चिन्तन करना या विवेकवान रहना | शील = श्रेष्ठ नियम | विरमण = त्याग | पौषधोपवास = पौषध अर्थात् पर्व दिनों में गृहस्थ सम्बन्धी सभी कार्यों को छोड़कर उपाश्रय आदि किसी धर्मस्थान में जाकर व्रत-उपवास सामायिक, प्रतिक्रमण आदि करना । अनार्य = हिंसा, झूठ, चोरी, व्यभिचार आदि दुष्कर्मों में प्रवृत्त व्यक्ति । 1. चुलनीपिता का अपनी माता के प्रति क्या भाव था ? 2. मां के पास बैठ कर भोजन करने में चुलनी पिता को क्या अनुभव होता था ? 3. प्रीति भोज का आयोजन चुलनी पिता ने क्यों किया था ? 4. चुलनी पिता को संसार से निवृत्ति और धर्म में प्रवृत्ति हुई, इसके लिए उसे क्या करना पड़ा ? 5. घर छोड़ कर चुलनी पिता पौषध शाला में क्यों रहने लगा था ? 6. = 30/महावीर के उपासक चुलनी पिता ने अपने पुत्रों को मरते देखकर क्या सोचा था ? 7. चुलनी पिता अपनी माता को बचाने क्यों उठा था ? 8. देव द्वारा दिये गये उपसर्ग में जब चुलनी पिता विचलित हो गया, तब उसकी माता ने उसे क्या समझाया था ?

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