Book Title: Mahavir Ke Upasak
Author(s): Subhadramuni
Publisher: Muni Mayaram Sambodhi Prakashan

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Page 22
________________ लेने के लिए अनेक विध जो कष्ट तुम्हें दिए हैं, उसके लिए मैं बार-बार क्षमा मांगता हूँ।” यह कह कर देव चला गया। इसके अनन्तर जब कामदेव का ध्यान पूर्ण हुआ तो उसे पता चला कि प्रभु महावीर पुनः चम्पापुरी में पधारे हैं। वे पूर्णभद्र चैत्य में विराजमान हैं। तब उसने अभिग्रह (संकल्प) किया कि मैं भगवान के दर्शन और वंदन करने के पश्चात ही आहार ग्रहण करूंगा, पहले नहीं। दूसरे दिन कामदेव पूर्णभद्र चैत्य पहुंचा। उसने भगवान की वंदना की और उनकी देशना सुनने बैठ गया। अन्तर्यामी भगवान् महावीर ने कामदेव की विगत रात्रि में घटित उपसर्गों (कष्टों) का वर्णन करते हुए उपस्थित जनों से कहा -“कामदेव ने रात्रि में जो उपसर्ग सहन किये हैं वैसे उपसर्ग सभी साधकों को भी सहन करने चाहिए। परीषह आने पर साधकों को विचलित नहीं होना चाहिए । इन परीषहों का विजेता साधक अपने कर्मों की महान् निर्जरा करता है।" उपस्थित श्रमणों ने 'तहत्ति कहकर भगवान की आज्ञा को शिरोधार्य किया। भगवान के श्रीमुख से अपनी प्रशंसा सुनकर कामदेव तनिक भी हर्षित और गर्वित नहीं हुआ। उसने यही सोचा गत रात्रि में उपसर्गों को सहने की मेरी जो सामर्थ्य थी, वह मेरी स्वयं की नहीं थी। अपितु भगवान और धर्म की ही मंगलमयी कृपा थी। कामदेव भगवान की देशना सुनकर घर लौट गया। महावीर भगवान ने भी चम्पापुरी से अन्यत्र विहार किया। कामदेव ने अंत में क्रमशः श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएं धारण की । अनशन द्वारा समाधिमरण प्राप्त किया। कामदेव सौधर्म कल्प के सौधर्मावंतसक महाविमान के ईशान कोण के अरुणाभ विमान में देवरूप में उत्पन्न हुआ। वहां उसकी चार पल्योपम की स्थिति है। वहां से आयु, को पूर्ण कर वह महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होगा और वहां से मुक्ति को प्राप्त होगा। सारांश = आग्रही या जिद्दी होना, यह विचारों का विष है । अपने जीवन के लक्ष्य पर दृढ़ रहना यह जीवन का अमृत है। कामदेव ने भगवान महावीर से जो व्रत अंगीकृत कियेथे उन पर कामदेव पूरी तरह आस्थावान ___ हो गया था। वहां शंका को एक कण भी स्थान न था, इसलिए उसे दृढ़धर्मी कहते हैं। कामदेव शीलवान था, सन्तोषी था, अपने विचारों में दृढ़ था । यह उस का अपना सुख था किसी के दिखाने या बताने के लिए नहीं था । वह न तो स्वयं अहंकार जीता था और न ही वह प्रक्रिया को अपनी दृढ़धर्मी कामदेव/21

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