Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 200
________________ आशा और निराशा आशा का द्वीप आशीर्वाद आशीर्वाद आश्चर्य आश्चर्यम् आश्वासन आश्वासन इच्छा और सुख इन्द्रधनुष से अतीत इस कुएं से आगे कुछ भी नहीं इसके बाद भी इस दुनियां में बेमेल चीजें क्या नहीं मिलतीं इस दुनिया में सब कुछ है इस प्रकार ईंट से ईंट बज गई ईश्वर मिलेगा साधना से उच्छृंखलता से परे उच्छृंखलता से परे उठो उठो ए बादल काले उतार-चढाव उतार चढाव उथल-पुथल उदय और अस्त उदासीन सम्प्रदाय उदासीन सम्प्रदाय उपचार उपहास उपासना का मर्म उपेक्षा और अपेक्षा ७६ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International अनुभव विजय नास्ति विजय बन्दी फूल नास्ति विजय अनुभव नास्ति गूंज अनुभव गूंजते गूंजते अनुभव गूंजते फूल नास्ति विजय फूल अनुभव भाव फूल भाव नास्ति विजय बन्दी अनुभव भाव भाव For Private & Personal Use Only १२३ १५६ २६. ६२ ८ ७२ ७३ १५२ १०६ ५३ ६३ २५ ५७ ७६ ७६ ८४ ३६ ५० ११२ ७६ ११५. १३ ५६ ३४ ६६ १४४ १५ ७६ १२३ ६७ www.jainelibrary.org

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