Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 243
________________ वरदान या अभिशाप वर्धते भयम्, वर्धते भयम् वह क्या करता होगा ? वह था शब्दकोश वह बन्दी न था वह बुद्धिव्यर्थ है वहीं का वहीं वाक्-कला वाणी का चमत्कार वाणी का चमत्कार वास्तविक शक्ति विकास का मार्ग-ध्यान विचार और चेतना विचार का नशा विचार- परिवर्तन विचारशील विचित्र अवस्था विडंबना विडंबना विद्या का दुरुपयोग विपर्यय विपर्यय विपर्यय विरल विरोधाभास विरोधी हितों का सामंजस्य विवशता विवाद विवेक-जागरण विश्वास Jain Education International गागर कथा "" गागर कथा " " " गागर कथा 13 " 27 " " 11 77 " "" 33 गागर कथा " 11 " " " " "! " For Private & Personal Use Only ५ ३ ३ २ M ४ ३ ३ १ ५ १ ३७ ३० १२० १३७ ६७ १०२ ७६ ३ ५३ ૪ ७२. ७२ १२५. १३८ १३२ १०१. १५३. ७५. १७ ३३ १२७ ३५. ११० ७३. ७४ ६१ ช ८७ ७८ ७३ ७२. ३० कथा साहित्य / ११६ www.jainelibrary.org

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