Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 233
________________ कथा عمر ७३ مه १५१ مه धर्म का मूल आधार धर्म चोला नहीं है धर्म नहीं छोड़ा धर्म-सम्प्रदाय धार्मिकता कितनी? ध्यान की शक्ति * * * س س س س नकली क्यों ? नमस्कार न मुन्ना, न मुन्नी नया डर नवीन बात नशा कैसे चढ़ता है ? नाम का चमत्कार नामान्तरण निदान س س ه م له नियन्त्रण له سه ७४ سر १२६ مر » سه مه नियम नियम का ज्ञान नियम नियम है निरापद उपाय निर्लज्ज निविकल्प समाधि का उपाय निर्विचारता का मूल्य निविशेषण धर्म की आवश्यकता निषेध का अर्थ नीति और क्रियान्विति नीयत का असर " mm x mmm سه مه ر مه سر » ५७ पंखा जिद्दी है له LU कथा साहित्य | १०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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