Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 234
________________ पकड़ पचीस पैसे का गोलमाल पछतावा पण्डिता एवं जानन्ति पता ही नहीं चला पत्नी द्वारा चालित पद दिया जा सकता है, पर... पप्पू की मां परमात्मा और शैतान परवाह नहीं परिणाम पहचान पहचान पहला अवसर पागलपन पादरी और वैज्ञानिक पाप का परिपाक पारस से भी मूल्यवान् पार्थक्य का बिन्दु पुण्य-पाप पुद्गल का स्वभाव पुरस्कार पुरुष कम : स्त्रियां अधिक पुरुषार्थ पुरुषार्थ पुरुषार्थहीन पूर्वाग्रह से मुक्ति पैतृक परम्परा पैसा पैसा है प्रकाश ११० / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International गागर कथा 36 " 27 37 31 27 23 33 गागर कथा 13 14 " " " " 335 " 23 " " 13 31 12 33 19 91 "3 17 "" For Private & Personal Use Only W ५. २ ४ ov ♡ m ܗ Mr 2 ४ m ४ ५ ७८ १५३ ४१ ८७ ७५ ४१ ७६ १०६ १३६ ७६ ८७ ५३ १५६ ६७ १०४ ५४ ६० १२६ १०६ ४८ ३० १५६ १५१ २१ ८ १ ४४ ५० ७४ १५३ ८७ www.jainelibrary.org

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