Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 238
________________ १४२ १३१ ३८ ভও १०४ Kc 0 १२० मन का शक्ति का विकास मन की स्थिरता मन को वश में करो मनुष्य की बुद्धि मनोबल मरने की शक्ति मरने के बाद का अनुभव मस्ती में जीता हूं महत्वाकांक्षा महाकवि कालिदास महाकवि गेटे महाकवि माघ महाकवि माघ महात्मा और सम्राट सिकन्दर महात्मा : भक्त महान् कौन ? महाप्राण-ध्यान महाराजा रणजीतसिंह महारानी विक्टोरिया मां-पुत्र मा प्रमादी निशात्यये मानदंड मानसिक शांति का सूत्र मायाशल्य माली और कुम्हार मिच्छामि दुक्कडं मित्रता मुक्ति का रहस्य मुखद्वार कम : मलद्वार अधिक मुझे क्या ? Kusuam Kmm. www wx < < www do www ० ७ x १२१ or ११८ ११५ ११४ ११४ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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