Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 236
________________ प्राणों का मोह प्रामाणिकता प्रामाणिकता प्रायश्चित्त प्रायश्चित्त फिर कहीं चले जाओ फूल तोड़ना मना है बंधा हुआ कौन है ? बच्चे का आग्रह बड़प्पन की भूख बड़ा भिखारी है राजा बदला बनकर तो देखो बहिर्मुखता बहुत दिनों से बात में आगे काम में पीछे बाबा से भी बायीं बीमारी मस्तिष्क तक न पहुंचे बुद्धि और अनुभव बुद्धि का खतरा बुद्धि का चमत्कार बुद्धि का चमत्कार बुद्धि-बल बुद्धिमान् बुद्धिमान् रोहक बुरा कौन ? बूढ़ी को क्यों लाया बैल और गधा ब्रह्मचर्य का चमत्कार ११२ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International कथा " " गागर कथा " 13 * دو गागर कथा " " " " गागर कथा 34 " 71 " 11 11 " 31 " 11 32 गागर कथा For Private & Personal Use Only ४ m m m २ ५ २ २ १ ४ १८ ८६ ५६ ४४ १५८ १०६ १५५ १०२ ६६. ५० १०६ ६३ ८६ ५६ १६. ४५ १४६ ६३ १३६ २७ ३४ १६ १५० ६३ ५३ ६६ ७४ २८ १०४ www.jainelibrary.org

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