Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 232
________________ कथा तेरी याद مر 8x गागर कथा مر م १४६ س 0 ه o م س . ه awk م م १३५ ४८ गागर कथा م ८६ س १०५ दण्ड या अन्तर्योति दमड़ीवाला दर्शनों का एकीकरण दसवीं कला दासी के दास दिव्य-दृष्टि दिशा परिवर्तन दिशा-बोधः दिशाहीनता दीया जलाकर देखो दूध का तालाब दूसरों के चिन्तन पर दूसरों के सहारे दृश्य एक : दृष्टिकोण अनेक दृष्टि का अंतर देखना और देखना देखो तब जब मैं.... देवमाया दो गप्पी दो चित्रकार दोनों एक दोनों एक साथ नहीं दोनों बातें नहीं हो सकती दोनों सही हैं दो मित्र दो मिनट ठहरो م १४० س ८६ م ه ७६ س ११७ १२२ س गागर कथा مر १२६ مر ८६ م ي ७८ ر م १५४ धन्यवाद » ७४ धन्यवाद » ११४ १०८ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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