Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 230
________________ ه झंकार के साथ टंकार झंझट ه झटका ४५ ه ه ११५. झूठ में भी भलाई झूठा प्रेम ه ه गागर ५१ कथा » टैगोर डफोलशंख डबलरोटी डर से ज्वर डर सो ऊबर डाक्टर और वकील डाक्टर का परामर्श १०२. १०० س س १३२ م ه ढपोरशंख م तटस्थता ه م १४० तड़प तथास्तु तपःचोर س १०७ م तब तक م ७६ س > سه ه १०४ ه तरतमता तर्क का काम तर्क का चमत्कार तल्लीनता तात्पर्य तीन करोड़ स्वर्ण मुद्राएं तीन का उपकार तीसरा चक्षु तीसरा नेत्र तीसरा वर्ष तुम उत्तीर्ण हो ७० ه ه १५२ गागर कथा २ ११७ ه له १७ १०६ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252