Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 229
________________ ४५ १५२ चूं तक चेला नहीं, गुरु बनूंगा चोर और तूंबे चौधराई १०८ गागर छुरी किसके लिए? छोटा-बड़ा " कथा x ar an mr 1 गागर mm कथा n x गागर कथा १४७ गागर ~ जज : अपराधी जज को ठगा जड़ की बात जनतंत्र का चिर सत्य जरूरत जरूरत जहर और अमृत जहां भी जाओगे जागने का फल जाति का गर्व जाने बिना जितने तारे हैं जीता कौन है ? जीवन का गणित जीवन का मूल्य जीवन की सुरक्षा जीवन-शक्ति जीवन्त चित्र जूनूसूपी जोगी की जटा जो जीना जानता है जो दूल्हा खाएगा ज्ञान और संवेदन 2 m १०४ ३० rr on or an orx x x rm ron ८० . m १४५ कथा साहित्य | १०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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