Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 227
________________ x कथा कथा ३ a x ११५ १४८ m १३३ 51 १४७ 8 किसी मतलब से कुछ नहीं कुछ नहीं, सब कुछ कुबुद्धि कुरूप ही कुरूप कुसीख का परिणाम कृतघ्न केवल कोरे कागज केवल दो आंखें केसरिया मोदक कैसा उपहार कैसे और कब कोई बचेगा या नहीं कोई बात नहीं कोरा कागज कोऽरुक् कोओं वाला घर कौन ठगा गया ? क्या तमाशा है ? क्या तुमने दूध में पानी मिलाया ? क्या तुम बनावटी हो ? क्या मैं जी सकता हूँ? क्या मैं नौकर हूं क्या मैं भी मरूंगा क्या साधना करोगे? क्योंकि यह आपका विचार है क्रिया का जीवन 9 in or on my or in srx or an ox x a rx nx nx mm x na m x १७ ११३ 9 . M mrU क्रोध गागर क्रोध को विफल करो क्षेत्र का चमत्कार कथा ५ कथा साहित्य | १०३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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