Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 214
________________ रोटी का दर्शन भाव १०० ४८ भाव अनुभव भाव ३६ २४ लघु-गुरु लघुता का प्रसाद लचीलापन लुटेरा लोभ-विस्तार लोहावरण से परे लोहावरण से परे लौ से लौ फूल अनुभव नास्ति विजय अनुभव WWW ३ २१ अनुभव विजय फूल गूंजते बन्दी नास्ति विजय विजय नास्ति ६१ १०८ ६४ २७ विजय ५८ वकालत और अपराध वन्दना वरदान वह बुझ गया वाग्देवी वायुमंडल से परे वायुमंडल से परे विघ्न बाधाओं को चीरकर विघ्नों को चीरकर विजय का अधिकार विजय का अभियान विजय का अभियान विजय का गीत विजय-दुन्दुभि के स्वर विजय-दुन्दुभि के स्वर विदेशी सत्ता का प्रवेश विदेशी सत्ता का प्रवेश विद्यावान् कौन ? विनोद विपर्यय ४६ १७२ विजय नास्ति विजय नास्ति विजय विजय नास्ति अनुभव भाव बन्दी ६० / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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