Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 215
________________ भाव भाव बन्दी भाव नास्ति विजय नास्ति ७४ विजय विरोध विरोध का परिणाम विरोधाभास विवेक विशाल दृष्टिकोण विशाल दृष्टिकोण विश्व-राज्य विश्व-राज्य विश्वास और प्रेम विश्वास जब मर जाता है विश्वास-व्यंजना विश्वास-व्यंजना विष : अमृत विषपान विसर्जन विस्तार का मर्म व्यक्ति और विराट व्यक्ति और विराट व्यक्ति और समूह व्यक्तित्व की रेखाएं व्यक्तिवाद व्यक्तिवाद व्यापक या विशुद्ध व्याप्ति व्रत की भूमिका बन्दी गूंजते विजय नास्ति बन्दी अनुभव बन्दी २४ mro r७ 9 9 9 Mr or ur r rum xx9xur or भाव भाव अनुभव अनुभव फूल भाव अनुभव अनुभव बन्दी अनुभव शक्ति-स्रोत शब्द का संसार शरण शांति और संतुलन शांति कैसे मिले ? बन्दी गूंजते विजय बंदी अनुभव tra गद्य-पद्य काव्य | ६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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