Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 217
________________ बंदी و . و म م . 4 » बंदी په गूंजते م गूंजते و م भाव و भाव ر भाव س भाव ر भाव س बंदी و सत्य का आवरण सत्य का विमोचन सत्य की झांकी सत्य-दर्शन सन्तों का साम्राज्य सन्तोष सपना आया सपनों की दुनिया में सफल किए चल सफलता का सूत्र सब कुछ सम और विषम समझ की भूल समझ से परे समता का क्षितिज समदर्शन समय की कमी समय के चरण समर्पण समर्पण सम : विषम समस्या और समाधान सम्यक् और मिथ्या सलिल और लहर सहज क्या है? सहानवस्थान सही समझ सांचा साधना का मार्ग साध्य के लिए م अनुभव अनुभव भाव ة م विजय م س नास्ति बंदी ع س अनुभव अनुभव م ه ه अनुभव बंदी س भाव مه भाव و भाव अनुभव ر سم गद्य-पद्य काव्य / ६३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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