Book Title: Mahapragna Sahitya
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 209
________________ प्रगति का मन्त्र प्रचार प्रतिकार प्रतिकार का अधिकार प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया प्रतिपक्ष प्रतिबिम्ब प्रत्यूष का पवन प्रवाह की रपट में प्रश्नचिह्न प्रस्तुतीकरण प्राण और त्राण प्रिय प्रिय कौन ? प्रिय शत्रु प्रेम प्रेम किससे ? प्रेम के प्रतीक प्रेम कैसे ? प्रेम हो, विकार नहीं फलित फिर उजली दुपहरी हो गई फूल और अंगारे बंधन और मुक्ति बड़ी : छोटी बड़े और छोटे बन्दीगृह बन्दीगृह Jain Education International भाव अनुभव बन्दी बन्दी विजय नास्ति बंदी भाव गूंजते फूल भाव बन्दी बन्दी भाव अनुभव अनुभव अनुभव अनुभव अनुभव अनुभव अनुभव बन्दी गूंजते फूल अनुभव बन्दी अनुभव नास्ति विजय For Private & Personal Use Only ३१ ७२ ३५ ८७ १६४ ८० ४६ १२६ ३६ १४ २६ ३४ ७६ ६० ६८ १०६ ६० && १०१ १०० ६७ ८६ १२१ १ ११ ६७ ११२ ७ १६ गद्य-पद्य काव्य / ८५ www.jainelibrary.org

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