Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंवलितम् / [ 551 अर्होऽच् / 5 / 1 / 91 // अलाब्बाश्च-सि / / 1 / 84|| अलुपि वा।२।३ / 19 // अल्पयूनोः कन वा। 4 / 33 / / अल्पे / 3 / 2 / 136 / / अवः स्वपः / 2 / 3 / 57|| अवक्रये / 6 / 4 / 53 // अवयवात् तयट् / 7 / 1 / 151 // अवर्णभो-धिः।१।३।२२॥ अवर्णस्या-साम् / 1 / 4 / 15 / / अवर्णस्ये-रल। 1 / 2 / 6 // अवर्णादश्नो-ड्योः / 2 / 12115 / / अवर्णेवणस्य / 7 / 4 / 68 // अवर्मणो-त्ये।७।४।५९ // अवहसासंस्रोः / 5 / 1163 // अवाच्चाश्रयो-रे / 2 / 3 / 42 / / अवात् / 3 / 3 / 67 // अगत् / 5 / 3 / 62 // अवात् कुटा-ते 7 / 1 / 126|| अवात् तस्तभ्याम् / 5 / 3 / 133 / / अविति वा / 4 / 1 / 75 / / अवित्परोक्षा-रेः / 4 / / 23 / / अविदूरेऽभेः / 4 / 4 / 64 // अविवक्षिते / 5 / 2 / 14 // अविशेषणे-दः / 2 / 2 / 122 // अवृद्धादोर्नवा / 6 / 1 / 110 // अवृद्धेति गर्यो / 6 / 4 / 34 // अवेः संघा-टम् / 71 / 132 // अवेदुग्धे-सम् / 6 / 2 / 6 / / अवौ दाधी दा / 3 / 3 / 5 // अव्यक्तानु-श्व / 2 / 145 // अव्यजात् थ्यप् / 7 / 1 / 3 / / अव्ययम् / 3 / 1 / 21 // अव्ययं प्रवृद्धादिभिः / 3 / 1 // 48 // अव्ययस्य / 3 / 2 / 7 // अव्ययस्य कोऽद् च 73 / 31 / / अव्याप्यस्य मुचे०।४।१।१९॥ अशवि ते वा / 3 / 4 / 4 // / अस्वयंभुवोऽव् / 7 / 4 / 70 / / अशित्वस्सन्-टि।४।३७७॥ अस्वस्थगुणैः / 3 / 1 / 87 // अशिरसोऽशीर्षश्च / 7 / 2 / 7 // अहन्पञ्चमस्य-ति / 4 / 1 / 107 // अशिशोः / 2 / 4 / 8 // अहरादिभ्योऽन् / 62 / 87 // अश्व वाऽमावा० / 6 / 3 / 104 / / अहीयरुहो-ने।७।२।८८॥ अश्चैकादेः / 7 / 1 / 5 // अह्नः। 2 / श७४॥ अश्वत्थादेरिकण् / 6 / 297 // अह्नः / 7 / 3 / 116 / / अश्रद्धामर्षे-पि / 5 / 4 / 15 // अह्ना ग-नन् / 7 / 1 / 85 // अश्ववडवपू-राः / 3 / 11131 // आ अम्शसोऽता / 1 / 4 / 75|| अश्वादेः / 6 / 1 / 49 // आः खनिसनिजनः / 4 / 2 / 60|| अषडक्षा-नः 71 / 106| आकालिक-न्ते / 6 / 4 / 128 // अषष्ठीतृती-र्थे / 3 / 2 / 119 / / आख्यातयुपयोगे / 2 / 2 / 73 // अष्ट और्ज-सोः / 1 / 4 / 53 / . आगुणावन्यादेः।४।११४८॥ असंभस्राजिनक० 2 / 4 / 57 / / आग्रहायण्यश्व-कण् / 6 / 2 / 99|| असंयोगादोः / 4 / 2 / 86 / / आङः / 4 / 4 / 120 // असकृत् संभ्रमे 74/72 // आङः क्रीडमुषः / 5 / 2 / 5 / / असत्काण्ड-त् / / 4 / 56 / / आङः शीले / 5 / 1 / 96 / / असत्त्वाराद०।२।२।१२०।। आढल्पे / 3 / 1 / 46 // असत्त्वे उसेः / 3 / 2 / 10 // आढावधौ / 2 / 2 / 70|| असदिवा-म् / / 1 / 25 // आङो ज्योतिरुद्गमे / / 3 / 52 / / असमानलोपे-डे।४।१।६३। आढोऽन्धूधसोः / 4 / 1193| असरूपोप-क्तेः / 5 / 1 / 16 / / आङो यमहनः-च / 3 / 3 / 86 / / असहनवि -भ्यः / / 4 / 38 // आढो यि / 4 / 4 / 104 / / असुको वाऽकि / 2 / 1 / 44 / / आडो युद्धे / 5 / 3 / 43 // असूर्योग्राद् दृशः / 5 / 11126 // आङोरुप्लोः / 5 / 3 / 49 / / असोङ-सिवू-टाम् / 2 / 3 / 48 // आ च हौ। 4 / 2 / 101 // अस् च लौल्ये / 4 / 3 / 115 // आत् / 2 / 4 / 18 // अस्तपोमाया-बिन् / 7 / 2 / 47|| आत ऐः कृौ / 4 / 3 / 53 / / अस्तिबुवोभूवचाव०।४।४।१।। आतामाते-दिः / 4 / 2 / 121 // .. अस्तेः सि-ति / 4 / 3173 / आ तुमोऽन्या-त् / / 1 / 1 / / अस्त्रीशूद्रे-वा 7 / 4 / 101 // आतो डोऽहावामः / 5 / 1176 / / अस्थूलाच नसः / 73 / 161 // आतो नेन्द्र-स्य / / 4 / 29 // अस्पष्टाव-वा / 1 / 3 / 25 / / आतो णव औः / 4 / 2 / 12 / / अस्मिन् / 7 / 3 / 2 // आत्मनः पूरणे / 3 / 2 / 14 / / अस्य ड्यां लुक् / / 4 / 86|| आत्रेयाद् भारद्वाजे / 6 / 152 / / अस्यादेराः परोक्षायाम्।४।१।६८।। | आत्संध्यक्षरस्य / 4 / 2 / 1 // / अस्याऽयत्त-नाम् / 2 / 4 / 111 // | आथर्वेणिका-च / 6 / 3 / 167 //
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