Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ सूत्राणामकाराधनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंवलितम् / - - - नाम्यादेरेव ने / 2 / 3 / 8 / / निरभेः पूल्वः / 5 / 3 / 21 // | नृनः-वा। 1 / 3 / 10 // नाम्युपान्त्य-कः / 5 / 1154|| निरभ्यनोश्व-नि / 2 / 3 / 50 // | नेसिद्धस्थे / 3 / 2 / 29 // नारीसखी-श्र / 476|| निर्दु देशे / 5 / 1 / 133 // नेमार्थ-वा / 1 / 4 / 10 // नावः / 7 / 3 / 104 // निदुःसुवेः-तेः।२ / 3 / 56 // नेरिनपिट-स्य / 7 / 1 / 128 // नावादेरिकः / 7 // 23 // निदुर्बहि-राम् / 2 / 3 / 9 // नेआदापत-ग्धौ। 2 / 3 / 79 // नाशिष्यगोवत्सहले / 32 / 148 // निदु:सो:-म्नाम् / 2 / 3 // 31 // | नेध्रुवे / 6 / 3 / 17 // नासत्त्वालथे। 3 / 4 / 57 // निर्नेः स्फुरस्फुलोः / 2 / 3 / 53 / / ने दगदपठ-णः / 5 // 3 // 26 // नासानति-टम् / 71 / 127 // निर्वाणमवाते / 4 / 2 / 79 // नेवः। 5 / 3 / 74 // नासिकदरौ-ण्ठाद् / 2 / 4 / 39 // निर्विण्णः / 2 / 3 / 89 / / नेकस्वरस्य। 7 / 4 / 44 // नास्तिका-कम् / 6 / 4 // 66 // निवृत्तेऽक्षद्यतादेः।६।४।२०।। नैकार्येऽक्रिये / 2 / 3 / 12 // निसनिक्ष-वा / 2 / 3 / 84 // निर्वृत्ते।६।४।१०५॥ मोङ्गादेः। // 2 // 29 // निकटपाठस्य / 3 / 1 / 140 / / नि वा।१।४ / 89 // नोतः / 3 / 4 / 16 // निकटादिषु वसति / 6 / 4 / 77 // निवासाचरणेऽण / 6 / 3 / 65 / / नोऽपदस्य तद्धिते / 74 / 6 / / निगवादेर्नाम्नि / 5 / 1 / 61 // निवासादूरभवे-म्नि / 6 / 2 / 69 / / नोपसर्गात्-हा / 2 / 2 / 28 // निघोघसंघो-नम् / 5 / 3 // 36 // निविशः।३।३।२४ // नोपान्त्यवतः / 2 / 4 / 13 / / निजां शित्येत् / 4 / 1 / 57 // . निविस्वन्ववात् / 4 / 4 / 8 // नोऽप्रशानो-रे / 1 / 3 / 8 // नित्यदि-स्वः / 1 / 4 / 43 // निशाप्रदोषात् / 6 / 3 / 83 / / नोभयोर्हेतोः / 2 / 289 // नित्यमन्वादेशे / 2 / / 3 / / निषेधेऽलंखल्वोः क्त्वा / 5 / 4 / 44 // नो मट् / 7 / 1 / 159 // नित्यवरस्य / 3 / 11141 // निष्कादेः-सात् / 7 / 2 / 57 // नोादिभ्यः / 2 / 1 / 99 // नित्यं जबिनोऽण 7358 // निष्कुलान्नि-णे।७२।१३९॥ नो व्यञ्जनस्या-तः।४।।४५।। नित्यं णः पन्थश्च / 6 / 4 / 89 // निष्कुषः / 4 / 4 / 39 // नौद्विस्वरादिकः।६।४।१०।। नित्यं प्रतिनाल्पे // 3 // 1 // 37 // निष्प्रवाणि: / 7 / 3 / 181 // नौविषेण-ध्ये / 7 / 1 / 12 / / नित्यं हस्ते हे / 3 / 1115 // निष्फले तिला-जौ 7 / 2 / 154|| न चोधसः / 7 / 1 / 32 // नि दीर्घः / 1 / 4 / 85 // निष्प्रा-नस्य। 2 / 6 / 66 // न्यग्रोधस्य-स्य / 7 / 4 / 7 // निनद्याः-ले। 2 / 3 / 20 // निसस्तपेऽनासेवा०।२३१३५।। न्यङकूद्ग-यः।४।१।११२।। निन्दहिंस-रात् / 5 / 2 / 68 // निसश्च श्रेयसः / 7 / 3 / 122 // न्यकोर्वा / 7 / 4 / 8 // निन्द्यं कुत्सनै धैः / 3 / 110 / / निसो गते / 6 / 3 / 18 // न्यायुपश्चिोत् / 5 / 3 / 42 // निन्द्ये पाशप् / 7 / 3 / 4 // निहवे ज्ञः।३।३।६८॥ न्यवाच्छापे / 5 / 3 / 56 // निन्द्ये व्याप्या-यः / 5 / 1159 / / निदावशस्-त्रट् / 5 / 2 / 88 // न्यादो नवा / 5 / 3 / 24 // निपुणेन चार्चायाम् / / 2 / 103 / / नीलपीतादकम् / 6 / 2 / 4 // न्यायादेरिकण् / 6 / 2 / 118 // निप्राधुजः शक्ये / 4 / 1 / 116 // नीलात्प्राण्यौषध्योः / 2 / 4 / 27 / / न्यायार्थादनपेते।७।१।१३ / / निप्रेभ्यो नः / 2 / 2 / 15 // नुप्रच्छः / 3 / 3 / 54 // न्यायावाया-रम् / 5 / 3134 // निमील्यादिमेङ-के / 5 / 4 / 46 // नुजोतेः / 2 / 4 / 72 / / न्युदो ग्रः / 5 / 3 / 72 / / निमूलात्कषः / 5 / 4 / 62 // नुर्वा / 1 / 4 / 48 // न्स्महतोः / 1 / 4 / 86 / / निय आम् / 1 / 4 / 51 // नृतेर्यछि / 2 / 3 / 95 / / नियश्चानुपसर्गाद्वा / 5 / 3 / 60 // | नृत्खनञ्जः -ट् / 5 / 1 // 65 // पक्षाचोपमादेः / 2 / 4 / 43 / / नियुक्तं दीयते / 6 / 4 / 70 // | नृहेतुभ्यो-वा। 6 / 3 / 156 // / पक्षात्तिः / 7 / 1 / 89 // HIMALAIMER प
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