Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir

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Page 639
________________ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंवलितम् / [579 सायंचिरंपा-यात् / 6 / 3 / 88 / / सायाह्नादयः / 3 / 1153|| सारवैश्वा-यम् / 74|30|| साल्वात् तौ / 6 / 3 / 54 // साल्वांशप्रत्य-दिबू / 6 / 1117 / / सास्य पौर्णमासी।६।२।९८|| साहिसातिवे-त् / 5 / 1159 // सिकताशर्करात् / 7 / 2 / 35 // सिचि परस्मै-ति / 4 / 3 / 44 सिचोऽब्जेः / 4 / 4 / 84 // सिचो यकि। 2 / 3 / 60 // सिजद्यतन्याम् / 3 / 4 / 53 / / सिजाशिषावात्मने / 4 / 3 / 3 / / . सिविदोऽभुवः / 4 / 2 / 92 // सिद्धिः-त् / 1 / 1 / 2 // : सिद्धौ तृतीया / 2 / 2 / 43 / / . सिध्मादि-ग्भ्यः 7 / 221 // सिध्यतेरज्ञाने। 4 / 2 / 11 // सिन्ध्वपकरात्काणौ / 6 / 3 / 101 / / सिन्ध्वादेरन् / 6 / 3 / 216 // सिंहाद्यैः पूजायाम् / 3 / 1189 / / सीतया संगते / 7 / 1 / 27 / / सुः पूजायाम् / 3 / 1 / 44 // सुखादेः / 7 / 2 / 63 // सुखादेरनुभवे / 3 / 4 / 34 // सुगदुर्गमाधारे / 5 / 1 / 132 // सुगः स्यसनि / 2 / 3 / 62 // . सुगद्विषाहः-त्ये / 5 / 2 / 26 // सुचो वा / 2 / 3 // 10 // सुज्वार्थे सं-हिः / 3 / 1 / 19 // सुतंगमादेरिम् / 6 / 2 / 85 / / सुदुर्व्यः / 4 / 4 / 108 // सुपन्ध्यादेयः / 6 / 284 // सुपूत्युत्सु-णे / 7 / 3 / 144 // सुप्रातसुश्व-दम् / 7 // 3 // 129 // सुभ्र वादिभ्यः / 7 / 3 / 182 // सुयजो-प् / 5 / 1 / 172 // सुयाम्नः सौवी-निम् / 6 / 1 / 102 / / सौवीरेषु कूलात् / 6 / 3 / 47 // सुरासीधोः पिबः / 5 / 1175 / / स्कन्दस्यन्दः।४।३। 30 / / सुवर्णकार्षापणात् / 6 / 4 / 14 // स्कभ्नः / 2 / 3 / 55 // सुसर्वा द्राष्ट्रस्य / 7 / 4 / 15 // स्कृच्छतो-याम् / 4 / 3 / 8 // सुसंख्यात् / 7 / 3 / 150 // स्क्रसृवृभृ-याः / 4 / 4/81 // सुस्नातादि-ति / 6 / 4 / 42 // स्तम्बात् घनश्च / 5 / 3 / 39 // सुहरिततृण-त् / 733142 / / स्तम्भूस्तुम्भू-च / 3 / 478 // सुहृदु-मित्रे / 7 / 3 / 157 / / स्ताद्यशितो-रिट् / 4 / 4 / 32 // सूक्त साम्नोरीयः / / 2 / 71 / / स्तुस्वजश्चा-वा / 2 / 3 / 49 / / सूतेः पञ्चम्याम् / 4 / 3 / 13 // स्तेनान्न लुक् च 71164 // सूत्राद्धारणे / 5 / 1 / 93 / / स्तोकाल्प-णे / 2 / 2179|| सूयत्याद्योदितः / 4 / 2 / 70 // स्तोमे डट् / 6 / 4 / 176 // : सूर्यागस्त्ययोरीये च / / 4 / 89 // स्त्यादिर्विभक्तिः ।शश१९।। सूर्याद् देवतायां वा / / 4 / 64 // स्त्रियाः।२।१।५४॥ सृग्लहः प्रजनाक्षे / 5 / 3 / 31 // स्त्रियाः पुंसो-च७३।९६॥ . सृघस्यदो मरक् / 5 / 2 / 73 // स्त्रिया हिता-दाम् / 1 / 4 / 28 / / सृजः श्राद्धे-तथा / 3 / 4 / 84|| स्त्रियां क्तिः / 5 / 3 / 91 // सृजिशिस्कृ-वः / 4 / 4 / 78| स्त्रियां नाम्नि 7 / 3 / 152 // सृजीणनशष्ट्वरप्।५।२।७७॥ स्त्रियां-ढी / 2 / 4 / 1 // सेः रद्धां च रुर्वा / 4 / 379|| स्त्रियां लुप।६।१।४६॥ सेटक्तयोः / 4 / 384 // स्त्रियाम् / 1 / 4 / 93 // सेड् नानिटा।३ / 1 / 106 / / स्त्रियाम् / 3 / 1 / 69 // सेनाङ्गक्षुद्र-नाम् / 3 / 1 / 134 // स्त्रियामूधसो न् / 7 / 3 / 169 / / सेनान्तका-चक्ष११०२॥ स्त्रीदूतः / 1 / 4 / 29 / / सेनाया वा।६।४ / 48 // स्त्री पुवश्च / 3 / 1 / 125 // सेसे कर्मकर्तरि / 4 / 2 / 7 / / स्त्री बहुष्वायनम् / 6 / 2 / 48 // सेर्निवासादस्य / 6 / 3 / 213 // स्थण्डिलात्-ती।६।२।१३९ // सोदर्यसमानोदयौँ / 6 / 3 / 112 // स्थलादेमधुक-ण।६।४ / 91 // सो धि वा / 4 / 3 / 72 / / - स्थाग्लाम्लापचि-स्नुः / 5 / 2 / 3 / / सोमात सुगः / 5 / 1 / 163 / / स्थादिभ्यः कः / 5 / 3 / 82 / / सो रुः / 2 / 1 / 72 // . . स्थानान्तगो-लात् / 6 / 3 / 110 // सो वा लुक् च / 3 / 4 / 27 // स्थानीवाऽवर्णविधौ।।४।१०९।। सोऽस्य ब्रह्म-तोः / 6 / 4 / 116 / / स्थापास्नात्रः कः / 5 / 1 / 142 // सोऽस्य भृति-शम् / 6 / 4 / 168 / / स्थामाजिना-प् / 6 / 3 / 93 / / सोऽस्य मुख्यः / 7 / 1 / 190 / / स्थासेनिसेध-पि // 2 // 3 // 40 // | सौ नवेतौ। 1 / 2 / 38 // स्थूलदूर-नः // 4 // 42 // | सौयामायनि-या।६ / 11 106 / / / स्थेशभास-रः / 5 / 2 / 81 //

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