Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंवलितम् / / 577 श्वेर्वा / 4 / 1 / 89 / / षः सोऽष्टय -कः / 2 / 3 / 9 / / षट्कति-थट् / 7 / 1 / 162 / / षट्त्वे षड्गवः / 7 / 1 / 135 // षड्वर्जेक-रे / 73 / 40 // षढोः कः सि / 2 / 1 / 62 / / षण्मासादवयसि-कौ।६।४।१०८। षण्मासाद्य-कण / 6 / 4 / 115 // षटयादेर-देः / / 1 / 158|| षष्ठात् / 7 / 3 / 25 // षष्ठी वानादरे।२।२।१०८॥ षष्ठययत्नान्छेषे / 3 / 11.06|| षष्टयाः क्षेपे / 3 / 2 / 30 // षष्ठ्याः समूहे / 6 / 2 / 9 / / षष्ठया धर्थे / 6 / 4 / 50 // षष्ठयान्त्यस्य 74 / 106 / / षष्ठया रूप्य-ट् / 7 / 2 / 80 // षात्पदे।२।३। 92 // षादिहन-णि / 2 / 1 / 110 // पावटाद्वा / 2 / 4 / 69 // षि तवर्गस्य / 1 / 3 / 64 // षितोऽङ् / 5 / 3 / 107 / / ष्ठिवूलम्बाचमः / 4 / 2 / 110 // ष्ठिन्सिवोऽ-वा / 4 / 2 / 112 / / ध्या पुत्रपत्योः -थे / 2 / 4 / 83 // संख्यानां म / 1 / 4 / 33 / / संमदप्रमदी हर्षे / 5 / 3 / 33 / / संख्याने। 3 / 1 / 146 / / संयोगस्या-क / 2 / 1188 // संख्यापाण्डू-मेः / 7 / 3 / 78 // संयोगात् / 2 / 1 / 52 // संख्यापूरणे डट / 7 / 1 / 155 // संयोगादिनः / 7 / 4 / 13 // संख्या या: संघ-ठे।६।४।१७१।। मंयोगाद् ऋतः। 4 / 4 / 37 // संख्याया धा। 7 / 2 / 104 // संयोगाददर्तेः / 4 / 3 / 9 // सख्याया नदी-म् / 7 / 3 / 9 / / संयोगादेर्वा-ध्येः / 4 / 3 / 95 / / संख्याव्ययादङ्गलेः / 7 / 3 / 124 // संवत्सरान-च।६।३।११६।। सख्या समासे / 3 / 1 / 163 // मंवत्सरात्-णोः / 6 / 3 / 90 // संख्या समाहारे।३।१२८॥ संविप्रात् / 3 / 3 / 63 / / संख्या समाहारे-यम् / 3 / 1199 // संवेः सृजः / 5 / 2 / 57 / / संख्या-साय-वा / 1 / 4 / 50|| संशयं प्राप्त ज्ञेये।६।४।९३।। , संख्यासंभ-र्च।६।१। 66 / / संसृष्ठे। 6 / 4 / 5 // संख्याहर्दिवा-टः / 5 / 1 / 102 / / मंस्कृते।६।४।३॥ संख्यैकार्था-शस् / 7 / 2 / 151 / / संस्कृते भक्ष्ये / 6 / 2 / 140 // संगतेऽजयम् / 5 / 1 // 5 // संस्तोः / 5 / 3 / 66 / / संघघोषा-बः / 6 / 3 / 172 / / सः सिजस्तेर्दिस्योः / 4 / 3 / 65 / / संघेऽनू / 5 / 3 / 80 // सक्थ्यक्ष्णः स्वाङ्गे / 3 / 126 / / मंचाय्यकुण्ड-तौ / 5 / 1 / 22 / / सखिणिग्दूताद्यः श६३।। संज्ञा दुर्वा / 6 / 1 / 6 // सख्यादेरेयण / 6 / 2 / 88 / / संध्यक्षरात्तेन / 7 / 3 / 42 / / सख्युरितोऽशात् / 1 / 4 / 83 / संनिवेः / 3 / 3 / 57 / / सजुषः / 2 / 1 / 73 // संनिवेरर्दः / 4 / 4 / 63 // सजेर्वा / 2 / 3 / 38 // संनिव्युपाद्यमः / 5 / 3 / 25 // सति / 5 / 2 / 19 // संपरिव्यनुप्रादः / 5 / 2 / 58 / / सती छार्था / / 5 / 4 / 24 / / संपरेः कृगः स्सट् / 4 / 4 / 9 / / सतीर्थ्यः / 6 / 4 / 78 / / संपरेर्वा / 4 / 1 / 78 / / सत्यागदास्तोः कारे / 3 / 2.112 / / संप्रतेरस्मृतौ / 3 / 3 / 69|| सत्यादशपथे / 12 / 143 / / संप्रदानाचन्य-यः / 5:1215|| सत्यार्थवेदस्याः / 3 / 4 / 44|| संप्राज्जा-ज्ञौ / 7 / 3 / 155 / / सत्सामीप्ये सद्वद्वा / 5 / 4 / 1 / / संप्राद्वसात् / 5 / 2 / 61 / / सदाधुने-हिं / 7 / 2 / 96 / / संप्रोन्नेः सं-पे 71 / 125 / / सदोऽप्रते:-देः / 2 / 3 / 44 संबन्धिनां संबन्धे / 7 / 4 / 121 / / सद्योऽद्य-ह्नि।७।२।१७॥ संभवदवहरतोश्च / 6 / 4 / 162 // सनस्तत्रावा।४।३।६९ // संभावनेऽलमर्थे-क्तौ / 5 / 4 / 22 / / सनि / 4 / 2 / 61 // संभावने सिद्धवत् / 5 / 4 / 4 // सनीश्च / 4 / 4 / 25 // संमत्यसू-तः / 7 / 4 / 89 // / सन्मिशाशंसेरुः / 5 / 2 / 33 / / संकटाभ्याम् / 7 / 3 / 86 // संख्याक्ष-त्तौ। 3 / 1 / 38 // संख्याकात् सूत्रे / 6 / 2 / 128 // संख्याडते-कः / 6 / 4 / 130 / / संख्याता-वा।७।३।११७ // संख्यातैक-रत् / 7 / 3 / 119 // संख्यादेः पादा-च / 12 / 152 / / संख्यादेगुणात् / 7 / 2 / 136 // संख्यादेहाय-सि / 2 / 4 / 9 // संख्यादेश्चा-चः / 6 / 4 / 80 // संख्याधि-नि।७।४।१८॥
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