Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ 578 ] श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासन [ सूत्राणामकाराधनुक्रमणिका सन्महत्परमो-याम् / / 1 / 107 // / समानपूर्व-त्। 6 / 3 / 79 // | सर्वादेः प-ति / 7 / 1 / 94 // सन्यश्च / 4 / 1 / 3 // ममानस्य धर्मादिष / 3 / 2 / 149 // | सर्वादेः सर्वाः।२।२।११९॥ सन्यस्य।४।१॥ 59 // समानादमोतः / 1 / 4 / 46 / / सर्वादेः स्मैस्मातौ।१।४।७॥ सपल्यादौ / 2 / 4 / 50 // समानानां-र्घः / 1 / 2 / 1 // सर्वादेर्डस्पूर्वाः / 1 / 4 / 18 // सपत्रनिष्पत्रा-ने 7 / 2 / 138 // समानामर्थेनैकशेषः / 311118 // सर्वादेरिन् / 7 / 2 / 59 // सपिण्डे वयःस्थाना-द्वादश४|| समाया नः। 6 / 4 / 109 // सर्वान्नमत्ति / 7 / 1 / 98 // सपूर्वात्-द्वा / 2 / 1 / 32 // समासान्तः / 7 / 3 / 69 // सांश-यात् / 7 / 3 / 118 // सपूर्वादिकण्।६।३।७०॥ | समासेऽग्नेः स्तुतः / 2 / 3 / 16 / / सर्वोभया-सा। 2 / 2 / 35 // . सप्तमी-ईमहि / 3 / 3 / 7 // समासेऽसमस्तस्य / 2 / 3 / 13 / / सलातुरादीयण् / 6 / 3 / 127 // सप्तमी चा-णे।२।२।१०९ // समिण सुगः / 5 / 3 / 93 // सविशेषण -क्यम् / 1 / 1 / 26 // सप्तमी चोर्ध्व-के / 5 / 3 / 12 // समिध आ-न्यण / 6 / 3 / 162 // ससर्वपूर्वाल्लुप् / 6 / 2 / 127 / / सप्तमी चो-के। 5 / 4 / 30 // समीपे / 3 / 1 / 35 // सस्तः सि।४।३। 92 // . ' सप्तमी द्विती-भ्यः / 7 / 2 / 134|| समुदाङो यमेरग्रन्थे / 3 / 3 / 98 // सस्नौ प्रशस्ते / 7 / 2 / 172 // सप्तमी यदि।५।४।३४ // समुदोऽजः पशौ / 5 / 3 / 30 // | सस्मे ह्यस्तनी च / 5 / 4 / 40 // सप्तमी शौण्डाद्यैः / 3 / 188 / समुद्रान्नृनावोः / 6 / 3 / 48|| सस्य शषो। / 3 / 611 / / सप्तम्यधिकरण।२।२।९५ // समूहार्थात्समवेते 6 // 4 // 46 // सस्याद् गुणात्-ते 711178|| सप्तम्यर्थे क्रि-त्तिः।५।४।९॥ समेंऽशेऽध नवा / 3 / 054|| सनिचक्रिदधि-मिः / 5 / 2 / 39 / / सप्तम्याः / 5 / 1 / 169 // समो गमृ-शः / 3 / 3 / 84 // | सहराजभ्यां-धेः / 5 / 1167 // . सप्तम्याः / 7 / 2 / 94 // समो गिरः / 3 / 3 / 66 // . सहलुभेच्छ-देः / 4 / 4 / 46 / / सप्तम्या आदिः / 7 / 4 / 114 / / समो ज्ञोऽ-वा। 2 / 2 / 51 // सहसमः सधिसमि / 3 / 2 / 123 / / सप्तम्या पूर्वस्य / 7 / 4 / 105 / / समो मुष्टौ। 5 / 3 / 58 // सहस्तेन / 3 / 1 / 24 // सप्तम्या वा।३।२।४॥ समो वा / 5 / 1 / 43 // सहस्रशत-दण् / 6 / 4 / 136 // सप्तम्यताप्योबोढे / / 4 / 21 // सम्राजः क्षत्रिये।६।१।१०१॥ सहस्य सोऽन्यार्थे / 3 / 2 / 143 / / सब्रह्मचारी।३।२।१५० // सम्रा / 1 / 3 / 16 // सहात्तुल्ययोगे / 7 / 3 / 178 // समःक्ष्णोः / 3 / 3 / 29 / / सयसितस्य / 2 / 3 / 47 // सहायाद्वा।७।१।६२ // समः ख्यः।५।१।७७॥ सरजसोप-वम / 7 / 3 / 94 // सहार्थे / 2 / 2 / 45 // समः पृचैपज्वरेः। 5 / 2 / 56 // सरूपाद् द्रेः-वत् / 6 / 3 / 209|| सहिवहे-स्य / 1 / 3 / 43 / / समजनिपनिषद-णः / 5 / 3 / 99 / / सरोऽनो-म्नोः / 7 / 3 / 115 / / | साक्षादादिश्व्य र्थे / 3 / 1 / 14 / / समत्यपाभि-रः / 5 / 2 / 62 / / सर्तेः स्थिर-स्ये / 5 / 3 / 17 / / साक्षाद् द्रष्टा / 7 / 1 / 197 / / समनुव्यवाद् रुधः / 5 / 2 / 63 // सर्त्यर्तेर्वा / 3 / 4 / 61 // सातिहेतियूति-र्तिः / 5 / 3 / 94 / / समयात् प्राप्तः / 6 / 4 / 124 // सर्वचर्मण ईनेनौ / 6 / 3 / 195 / / सादेः / 2 / 4 / 49 // समयाद्या-याम् / 7 / 2 / 137 / / सर्वजनाण्ण्ये नौ / 7 / 1 / 19 / / सादेश्चातदः / 7 / 1 / 25 // समर्थः पदविधिः 74|122 / / सर्वपश्चादादयः। 3 / 1 / 80 // साधकतमं करणम् / 2 / 2 / 24 / / समवान्धात्तमसः / 7 / 3 / 8 / / सर्वाणो वा / 7 / 1 / 43 / / साधुना / 2 / 2 / 102 // . समस्ततहिते वा / 3 / 2 / 139 // सर्वात् सहश्च / 5 / 1 / 111 // | साधुपुष्यत्पच्यमाने / 6 / 3 / 117|| समस्तृतीयया / 3 / 3 / 32 // सर्वादयोऽस्यादौ / 3 / 2 / 16 / / साधौ। 5 / 1 / 155 // समांसमीनम् / 7 / 1 / 105 // / सर्वादिविष्वग-श्वौ / 3 / 2 / 122 / / ' सामीप्येऽधो-रि 74 / 79 //
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