Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ सूत्राणामकारायनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्यवचूरिसंवलितम् / [563 -द्वितीया खट्वा क्षेपे / 3 / 1159 // / धनगणाल्लब्धरि / 7 / 1 // 9 // द्वितीयात् स्वरादूर्ध्वम् / 7 / 3 / 41 / / धनहिरण्ये कामे / 7 / 1 / 179 / / द्वितीयायाः काम्यः / 3 / 4 / 22 / / धनादेः पत्युः / 6 / 1 / 14 // द्वितीयाषष्ठयावे०।२।२।११७॥ धनुर्दण्डत्सरु-हः / 5 / 1 / 92 / / द्वित्रिचतुरः सुच् / 7 / 2 / 110 / / धनुषो धन्वन् / 7 / 3 / 158 / / द्वित्रिचतुष्पू--यः / 3 / 1 / 56 // धर्मशील-त् / 7 / 2 / 65 / / द्वित्रिबहो--स्तात् / 6 / 4 / 144 // धर्माधर्माच्चरति / 6 / 4 / 49 / / द्वित्रिभ्यामयद वा / 711152 // | धर्मार्थादिषु द्वन्द्वे / 3 / 1 / 159 / / द्वित्रिस्वरौ--भ्यः / 2 / 3 / 67 // धवाद्योगा-त् / 2 / 4 / 59 // द्विवेरायुषः / 7 / 3 / 100 // | धागः / 4 / 4 / 15 / / द्विवेर्धमबेधौ वा / 7 / 2 / 107 / / | धागस्तथोश्च / 2 / 1 / 78 // द्वित्रेमधनों वा / 7 / 3 / 127 // | धातोः कण्ड्वादेयेक् / देयक / 3 / 4aa द्विव्यधानां-हौ।३।२। 92 // | धातोः पू-च / 3 / 1 / 1 // द्विव्यादेर्याण वा। 6 / 4 // 14 // धातोः सम्बन्धे / 5 / 4 / / 1 / / द्वित्वे गोयुगः / 7 / 1 / 134 // / धातोरनेकस्वरादा० // 3 / 4 / 46 / / द्वित्वेऽधोऽध्युपरिभिः / 2 / 2 // 34 // | धातोरिवर्णो-ये / 2 / 1 / 50|| द्वित्वेऽप्यन्ते-वा। 2 / 3 / 81 // धात्री / 5 / 2 / 91 / / द्वित्वे वां नौ।२।१ / 22 // | धान्येभ्य ईनन् / 7 / 1 / 79 // द्वित्वे ह्वः / 4 / 1 / 87 // धाय्यापाय्यसा-से / 5 / / 20 // द्विदण्ड्यादिः / 7 / 3 / 75 // | धारीङोऽकृच्छे ऽतृश् / 5 / 2 / 25 / / द्विपदाद् धर्मादन् / 7 / 3 / 141 // धारेर्धर् च / 5 / 1 / 113 // द्विर्धातुः परोक्षा-धेः / 4 / 1 / 1 / / / धुटस्तृतीयः / 2 / 1 / 76 / / द्विषन्तपपरन्तपौ। 5 / 1 / 108 / / / धुटां प्राक् / 1 / 4 / 66 // द्विषो वातृशः / 2 / 2 / 84 // :-वा।१।३।४८॥ द्विस्वरब्रह्म-देः / 6 / 4 / 155 / / / 4 / 3 / 70 // द्विस्वरादणः / 6 / 1 / 109 / / / धुरोऽनक्षस्य / 7 / 3 / 77 // द्विस्वरादनद्याः / 6 / 1 / 71 // / धुरो यैयण / 7 / 1 / 3 // द्विहेतो-वा। 2 / 2 / 87 / / - धूगौदितः / 4 / 4 / 38 // द्वीपादनुसमद्रं ण्यः / 6 / 3 / 68 // धूगप्रीगोनः / 4 / 2 / 18 // .. द्वेस्तीयः / 7 / 1 / 165 // धूगसुस्तोः परस्मै। 4 / 4 / 85 / / द्वयन्तरनव-ईप / 3 / 2 / 109 // धूमादेः / 6 / 3 / 46 / / द्वयादेर्गुणान्-यत् / 7 / 1 / 153 / / धृषशसः प्रगल्भे / 4 / 4 / 66 / / द्वय क्तजक्षपञ्चतः।४।२।९३॥ धेनोरनबः।६।२।१५ // द्वय क्तोपान्त्यस्य-रे। 4314 // धेनो व्यायाम / 3 / 2 / 118 / / द्वय केषु-र्वा / 6 / 1 / 134 // द्वय षसूत-स्य / 2 / 4 / 109 // | न / 2 / 2 / 18 // | नं क्ये। 1 / 1 // 22 // नः शि ञ्च / 1 / 3 / 19 // न कचि / 2 / 4 / 105 // न कर्तरि / 3 / 1 / 82 // न कर्मणा बिच / 3 / 4 / न कवतेर्यकः।४।१ / 47 // न किमः क्षपे।७।३ / 70 // नखमुखाइनाम्नि / 2 / 4 / 40 // नखादयः।३।२।१२८ // न ख्यापूग-श्व / 2 / 3 / 90 // नगरात्कुत्सादाक्ष्ये / 6 / 3149 / / नगरादगजे।५।१।८७॥ न गृणाशुभरुचः / 3 / 4 / 13 / / नगोऽप्राणिनि वा / 3 / 2 / 127 // नग्नपलित-कबौ / 5 / 1128 / / न जनवधः / 4 / 3 / 54 // न / 3 / 1 / 51 // नबः क्षेत्रज्ञे-चेः / 7 / 4 / 23 // नबत् / 3 / 2 / 125 // नत्रव्यया-डः / 7 / 3 / 123 / / न बस्वाङ्गादेः। 7 / 4 / 9 // नयोऽनिः शापे / 5 / 3 / 117 // नमोऽर्थात् / 7 / 3 / 174 / / नञ्तत्पुरुषात् / 7 / 3 / 71 / / नत्तत्पुरु-देः / 7 / 1 / 57 / / नबहो-णे / 7 / 3 / 135 // नसुदुर्व्यः- 7 / 3 / 136 / / नसुव्युप-रः / / 3 / 131 // नटान्नृत्ते व्यः / 6 / 3 / 165 / / नडकुमुदवेतस-डित् / 6 / 2 / 74 / / नडशादाद् वलः / 6 / 2 / 75 / / नडादिभ्य आयनणाश५३॥ नडादेः कीयः / 6 / 2 / 92 // न डीशीङ-दः / 4 / 3 / 27 // न णिङ्यसूद-क्षः / 5 / 2 / 45 / / न तमबादिः-भ्यः / 7 / 3 / 13 / / न तिकि दीर्घश्च / 4 / 2 / 59 / / न दधिपयादिः / 3 / 1 / 145 / /
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