Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir

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Page 622
________________ 562] श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासनं ( सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका दन्तादुन्नतात / 7 / 2 / 40 // .. दीर्घमवोऽन्त्यम् / 4 / 1 / 103 / / / दैर्येऽनुः / 3 / 1 / 34 // दम्भः / 4 / 1 / 28 // दीर्घश्च्वियङ-च / 4 / 3 / 108 / / दैवर्याज्ञशौचिव-र्वा / 2 / 4 / 82 / / दम्भो धिप्धीप् / 4 / 1 / 18 // दीर्घो नाम्य-पः / 1 / 4 / 47 / / दो मः स्यादौ / 2 / 1 / 39 / / दयायास्कासः / 3 / 4 / 47 // दुःखात्प्रातिकूल्ये / 7 / 2 / 141 / / दोरप्राणिनः / 6 / 2 / 49 // दरिद्रोऽद्यतन्यां वा / 4 / 376 / / दु.स्त्रीषतः-खल् / 5 / 3 / 139 // दोरीयः / 6 / 3 / 32 // दर्भकृष्णाग्निशर्म-त्स्ये / 6 / 1 / 157 // दुगोरू च / 4 / 2 / 77 // दोरेव प्राचः / 6 / 3 / 40 // दशनावोदै-थम। 4 / 2 / 54 // दुनादिकुर्वि-व्यः / 6 / 1 / 118 // दोसोमास्थ इः / 4 / 4 / 11 / / दशैकादशादिकश्च / 6 / 4 / 36 / / दुर्निन्दाकृच्छ् / 3 / 1 / 43 / / द्यावापृथिवी-यौ। 6 / 2 / 108|| दश्वाङः / 5 / 1 / 78 // दुष्कुलादेयण्वा / 6 / 1 / 98|| द्यतेरिः / 4 / 1 / 41 // दस्ति / 3 / 2 / 88 // दुहदिहलिहकः / 4 / 3 / 74 / / द्यद्भयोऽद्यतन्याम् / 3 / 3 / 44 / / दागोऽस्वास्यप्रसार०।३।३.५३।। / दुहेडुघः / 5 / 1 / 145 / / / द्यद्रोमः / 7 / 2 / 37 // दाधेसिशदसदो रुः।५।२।३६॥ दूरादामन्त्र्य-नृत् / 7 / 4 / 99|| द्युप्रागपागु-यः / 6 / 3 / 8 // दाण्डाजिनि-कम् / 7 / 1 / 171 // दूरादेत्यः / 6 / 3 / 4 / / घप्रावृवर्षा-त् / 3 / 2 / 27 // दामः संप्रदा-च / 2 / 2 / 52 // दृग्दृशदक्षे / 3 / 2 / 151 / / द्रमक्रमो यङः / 5 / 2 / 46 // दामन्यादेरीयः / 7 / 3 / 67 // दृतिकुक्षि-यण् / 6 / 3 / 130 / / / द्रव्यवस्नात्केकम / 6 / 4 / 167 / दाम्नः / 2 / 4 / 10 / / दृतिनाथात्पशाविः / 5 / 1 / 97 // | द्रीयो वा।६।१ / 139 / / दाश्वत्सा -बत्।४।१। 15 / / इन्पुनर्वर्षाकारैर्भुवः। 2 / 1 / 59|| द्रेररणोऽप्राच्य।६।१।१२३।। दिक पूर्वपदादनाम्नः / 6 / 3 / 23 / / / वृगस्तुजुषे-सः / 5 / 1 / 40 // द्रोणाद्वा / 6 / 159 // दिक्पूर्वात्तो। 6 / 3 / 71 / / दशः क्वनिप्।५।१।१६६ // द्रोभव्ये / 7 / 1 / 115 / / दिकशब्दात्तीर-रः।३।२।१४२।। दृश्यभिवदोरात्मने / 2 / 2 / 9 / / द्रोर्वयः / 6 / 2 / 43 // दिकशब्दा-म्याः / 7 / 2 / 113 / / दृश्यर्थैश्चिन्तायाम्। 2 / 1 / 30 / / द्रयादेस्तथा।६।१ / 132 / / दिगधिकं संज्ञा-दे।३।११९८| दो साम्नि नाम्नि / 62 / 133 / / द्वन्द्वं वा / 7 / 4 / 82 // दिगादिदेहांशाद्यः।६।३।१२४|| देये त्राच / 7 / 2 / 133 // द्वन्द्वात प्रायः / 6 / 3 / 201 / / वितेश्चैयण वा / 6 / 1 / 69 / / देदिगिः परोक्षायाम् / 4 / / 32 / / द्वन्द्वादीयः / 6 / 2 / 7 // दिद्युइहज्ज-पः / 5 / 2 / 83 // देवता / 6 / 2 / 101 // द्वन्द्वाल्लित् / 7 / 1 / 74 // दिव औः सौ।२।१।११७ // - देवतानामात्वादौ / 7 / 4 / 28 / / द्वन्द्वे वा। 1 / 4 / 11 // दिवस दिवः-बा / 3 / 2 / 45 / / देवतान्तात्तदर्थे / 7 / 1 / 22 // / द्वयोर्विभज्ये च तरप / 73 / 6 / / दिवादेः श्यः / 3 / 4 / 72 / / देवपथादिभ्यः / 7 / 1 / 111 // द्वारादेः। 7 / 4 / 6 // दिवो द्यावा।३।२।४४॥ देववातादापः / 5 / 1 / 99 / / द्विः कान:-सः / 1 / 3 / 11 / / दिशो रूढया-ले। 3 / 1 / 25 // देवव्रतादोन डिन् / 6 / 4 / 8 / / द्विगोः संशये च / 7 / 1 / 144 // दिस्योरीट् / 4 / 4 / 89 / / देवात् तल / 7 / 2 / 162 / / द्विगोः समाहारात् / 2 / 4 / 22 / / दीङः सनि वा / 4 / 2 / 6 // देवाद्यञ् च / 6 / 1 / 21 / / द्विगोरनपत्ये-द्विः / 6 / 1 / 24 // दीपजनबुधि-वा।३।४।६७|| देवानांप्रियः।३।२।३४॥ द्विगोरनहोऽट / 7 / 3 / 99 // दीप्तिज्ञानयत्न-दः / 3 / 3 78 // देवार्चामैत्री-स्थः / 3 / 3 / 60 // द्विगोरीनः / 6 / 4 / 140 // दीय दीङः-रे / 4 / 3 / 93 // / देविकाशि-वाः। 7 / 4 / 3 // / द्विगोरीनेकटौ वा।६। 4,164|| दीर्घः। 6 / 4 / 127 // देशे। 2 / 3 / 70 // द्वितीयतुर्य-चौं। 4 / 1 / 42 // याब-सेः। 1 / 4 / 45 // देशेऽन्तरो नः / 2 / 3 / 91 / / द्वितीयया।५।४।७८ //

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